एक
अप्रकाशित टिप्पणी
-राजेश
सकलानी
यह
हटा लो भारत एक गरीब देश है
लिखो
चालू वित्तवर्ष में जी.डी.पी. साढ़े सात प्रतिशत
रहने
की उम्मीद है
गरीब
की मायूसी से हममें हँसने बतियाने की
हिम्मत
है
औरतें
ज्यादा थक जाती हैं जरूरतों को ढकने के
प्रसाधनों
में
गरीबों
के रहने से हममें जान है
हमारे
चेहरों की हिंसा का पता नहीं पड़ता
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