Monday, July 17, 2017

छक्के छूट गए भाषा के माया ने ईश्वर को देखा

दिल्ली में इस डर को देखा
-  संजय चतुर्वेदी

असली को लतियाने वाले नकली के तेवर को देखा
खुसुर-पुसुर की कुव्वत देखी नैनामार ग़दर को देखा
गंगाजमनी लदर-पदर में गोताख़ोर हुनर को देखा
जे० एन० यू० की हिन्दी देखी परदेसी ने घर को देखा
मरियम जैसा भेस बनाए सखियों के लश्कर को देखा
निराधार बातों पर पैदा निराधार आदर को देखा
गयी शायरी मिले वज़ीफ़े दिल ने नई बहर को देखा

छक्के छूट गए भाषा के माया ने ईश्वर को देखा

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