रोटी
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इब्बार रब्बी
केन्द्र
में रोटी रखी थी
सूर्य
कुत्ते की तरह
चांद पर झपट रहा था
चांद
मुर्गे की तरह कुड़-कुड़ करता
बादलों
की झाड़ियों में
छिप रहा था
रोटी
से चिंगारियां फूट रही थीं
ग्रह-उपग्रह
आगे-पीछे
दौड़ रहे थे
लाल
बत्ती
का
उल्लंघन कर रहे थे
एक
वृहदाकार रोटी
आकाश
की तरह
अन्तरिक्ष
में छाती
जा रही थी
[1976]
1 comment:
वाह क्या बात है।
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