Monday, October 8, 2007

फर्नान्दो पेसोआ के विचार

कोई भी कालखण्ड अपनी संवेदनशीलता अगले कालखण्ड में नहीं पहुंचाता। वह बस अपनी संवेदना की बौद्धिकता को वहां पहुंचाता है। संवेदना के माध्यम से हम हम रहते हैं जबकि बौद्धिकता हमें कोई और बनाती है। बौद्धिकता हमें बिखेरती है और यह इसी लिए है कि जो हमें बिखेरता है वही हमारे बाद बचता है। हर युग अपने उत्तराधिकारी को वह देता है जो उसके पास नहीं था।

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दिखावा करना अपने आप को जानना है।

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बौद्धिकता के लिए सारी सच्ची भावनाएं झूठ होती हैं क्योंकि भावनाएं उसके साथ मेल नहीं खातीं। इसी कारण हरेक सच्ची भावना झूठे तरीकों से अभिव्यक्त होती है। अपने को अभिव्यक्त करने का मतलब वह कहना है जो आप महसूस नहीं करते।

2 comments:

शिरीष कुमार मौर्य said...

HARAK SINGH ko PESOA ke gadya ka intezaar tha KHADAK SINGH! Ab KHADAKI khidkiyan tumhari. HARAK SINGH dhany hua. Apna daddaaa zindabad.

Bhupen said...

शायद, शिरीष की हरक सिंह वाली बात में कुछ गूढ़ संकेत छिपे हुए हैं. कबाड़खाना पसंद आया.