१ जनवरी को उदय प्रकाश जी का जन्म दिन था। उन्होंने इच्छा व्यक्त की थी कि इरफ़ान या मैं उन के लिये श्री ४२० का यह गीत यहां लगा दें . बदक़िस्मती से मैं उसी दिन पहाड़ों पर घूमने निकल गया . और अगले दिन इरफ़ान भी मेरे साथ आशीष कबाड़ी द्वारा संचालित हिमालयन विलेज, सोनापानी आ गए. ४-५ दिन टोटल मटरगश्ती में बीते. अब जाकर यह गीत लगा रहा हूं (इन दिनों लगातार तंग कर रहे lifelogger ने भी साथ दिया)। उदय जी के साथ आप सब सुनें.
१९५५ में बनी इस फ़िल्म के निर्माता निर्देशक थे राजकपूर. संगीत शंकर जयकिशन का था और स्क्रीनप्ले ख्वाजा अहमद अब्बास का था. शंकर शैलेन्द्र के लिखे इस कालजयी गीत को स्वर दिया है मन्ना डे ने.
2 comments:
शुक्रिया , पाण्डेयजी ।
शुक्रिया । मज़ा आया
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