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पुराने ईपी रिकॉर्ड्स की धूल हटाते हुए कल ये दो क़व्वालियाँ हाथ लगीं. सुनिये कि लोकप्रिय गायक एक दौर में अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए अपने सामाजिक सरोकार किस तरह गाते थे. इस ईपी को एचएमवी ने 1971 में उर्दू फिलॉसॉफ़िकल टाइटल से जारी किया था.
ख़ून नहीं बँट सकता
आवाज़: यूसुफ़ आज़ाद क़व्वाल और साथी.......शब्द: पयामसईदी.....संगीत: मामी भाचू
हिंदू-मुस्लिम मिलाप
आवाज़: यूसुफ़ आज़ाद क़व्वाल और साथी.......शब्द: नज़ीर बनारसी.....संगीत: मामी भाचू
3 comments:
बहुत बहुत सुंदर. अदभुत.
जय हिंद.
हिन्दू - मुस्लिम मिलाप वाली कव्वाली बहुत अच्छी लगी, सुनवाने का शु्क्रिया!!
प्लेयर नहीं दिख रहा है इरफ़ान भाई, कुछ कीजिये.
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