एनडीटीवी के
प्रियदर्शन ने पुस्तक मेले के दौरान जो कार्यक्रम किये उनके बारे में
समयांतर की राय है कि वे पिटे-पिटाए और रस्मी थे. सहारा समय पर
पंकज के कार्यक्रमों की तारीफ़ की गई गई है जबकि प्रियदर्शन की आवाज़ और उनके होंठों के कोनों से आती झाग का भी ज़िक्र है.
4 comments:
इरफ़ान दद्दा,
देखा-पढा
संदर्भ पकड्ड नहीं पा रहा हू या कि मेरी बुद्धि...?
खैर
सिद्धेश्वर भाई याने कि जवाहिर चा वाला हाल ही मेरा भी है इरफान भाई।
दो एंकरों का तुलनात्मक अध्ययन !
क्या बात है इरफान जी !
मित्रो आप लोग समयांतर न पढकर जो सुख प्राप्त कर रहे हैं, मैं उससे वंचित हूँ. तुलनात्मक अध्ययन पर तो कई हिंदी-आलेख हैं...आपने भी पढे होंगे!
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