Thursday, April 24, 2008

मुझे बेहतर लगती है सामान्य पोशाकें पहने लोगों की धरती

सम्भावनाएं

-विस्वावा शिम्बोर्स्का

मुझे बेहतर लगती हैं फ़िल्में
मुझे बेहतर लगती हैं बिल्लियां
मुझे वार्ता नदी के किनारे के बांज बेहतर लगते हैं
मुझे दोस्तोव्स्की से डिकेन्स बेहतर लगता है
मुझे बेहतर लगता है मेरा लोगों को पसन्द करना
बजाय मेरा पसन्द करना मानवता को
मुझे बेहतर लगता है सुई-धागा पास रखना कभी ज़रूरत पड़ने के वास्ते
मुझे हरा रंग बेहतर लगता है
मुझे बेहतर लगता है यह न सोचना
कि कारण को दोष दिया जाए हर बात के लिए.
मुझे बेहतर लगते हैं अपवाद
मुझे जल्दी निकल पड़ना बेहतर लगता है
मुझे बेहतर लगता है डॉक्टरों के साथ किसी और विषय पर बातें करना
मुझे बेहतर लगते हैं पतली रेखाओं वाले पुराने चित्र.
मुझे बेहतर लगती है कविता लिखने की निस्सारता
कविता न लिखने की निस्सारता से
मुझे बेहतर लगती हैं, जहां तक प्रेम का संबंध है, वे जयन्तियां
जिन्हें हर दिन मनाया जा सकता है.
मुझे बेहतर लगते हैं वे नैतिकतावादी
जो कोई वादा नहीं करते मुझसे
मुझे बेहतर लगती है ईर्ष्यापूर्ण दयालुता बजाय
अति विश्वासपूर्ण दया के.
मुझे बेहतर लगती है सामान्य पोशाकें पहने लोगों की धरती.
मुझे जीते जा चुके देश बेहतर लगते हैं
बजाय जीत रहे देशों के.
मुझे बेहतर लगता है कुछ विषयों पर आपत्ति करना.
मुझे अव्यवस्था का नर्क बेहतर लगता है
व्यवस्था के नर्क से.
मुझे ग्राइम्स की परीकथाएं बेहतर लगती हैं
बजाय अखबारों के मुखपृष्ठों के.
मुझे बेहतर लगती हैं बिना फूलों के पत्तियां
बजाय बिना पत्तियों के फूलों के.
मुझे बेहतर लगते हैं बिना पूंछ काटे गए कुत्ते.
मुझे हल्के रंग की आंखें अच्छी लगती हैं
क्योंकि मेरी आंखें गहरी हैं.
मुझे बेहतर लगती हैं डेस्क की दराज़ें
मुझे बेहतर लगती हैं वे बहुत सी चीज़ें
जिनका मैंने यहां ज़िक्र नहीं किया है
बजाय उनके जिन्हें मैंने अनकहा छोड़ दिया है.
मुझे ख़ाली शून्य बेहतर लगते हैं
बजाय उनके जो संख्याओं के पीछे लगे होते हैं.
मुझे कीट-पतंगों का युग बेहतर लगता है सितारों के युग से.
मुझे लकड़ी पर दस्तक देना बेहतर लगता है.
मुझे बेहतर लगता है यह न पूछना कि कितनी देर और कब.
मुझे बेहतर लगता है ध्यान में रखना इस संभावना को
कि हमारे अस्तित्व के पास, बने रहने के अपने कारण होंगे.

3 comments:

Vineeta Yashswi said...

विस्वावा शिम्बोस्का को पढ़ना मुझे हमेशा ही बहुत अच्छा लगता है।
आपने उनकी बहुत बेहतरीन कवितायें उपलब्ध करायी हैं।
धन्यवाद

sanjay joshi said...

Arey Haldwanii waale Ashok baba kya khoob kavita chuni hai aur kya khoob anuvaad bhi kiya hai .shukriya tabiyat hari karne ke liye.jaldi hi Haldwani mein mulakaat hogi.

दीपा पाठक said...

वाह क्या बात है। सच्ची में मुझे भी वही सब कुछ बेहतर लगता है जो कवि को लगता है ः)