Saturday, June 14, 2008

क्या है गीत चतुर्वेदी की "वैतागवाड़ी"



गीत चतुर्वेदी का ब्लॉग है "वैतागवाड़ी". ज़्यादा पुराना नहीं है. करीब चार महीनों से गीत की उपस्थिति हिन्दी ब्लॉगजगत में बाक़ायदा नोटिस की जाती रही है. ज़ीशान साहिल, अख़्तर-उल ईमान से लेकर एडम ज़गायेव्स्की और विष्णु खरे तक बड़े कविगण उनके इस ब्लॉग पर बेहतरीन कमेन्ट्रियों के साथ मौजूद हैं. इधर उन्होंने फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़' साहब की आवाज़ में कुछ कालजयी रचनाएं सुनवाई हैं.

गीत चतुर्वेदी को मैं उनके काम से व्यक्तिगत रूप से कई सालों से जानता हूं. एक अच्छे पुरुस्कृत कवि और अनुवादक के रूप में वे बहुत कम आयु में अपने आप को स्थापित कर चुके हैं. 'संवाद प्रकाशन' से उनकी लिखी चार्ली चैप्लिन की जीवनी छप चुकी है. हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में गीत काफ़ी लम्बे समय तक काम करते रहेंगे ऐसा मेरा मानना है.

और ज़्यादा तारीफ़ नहीं करूंगा वरना भाई लोग भाले-हथियार लेकर निकल आएंगे.

'वैतागवाड़ी' शब्द जब मैंने पहली बार सुना तो वीतराग जैसा कुछ सुनाई पड़ा. विराग जैसा भी. फिर लगा हो सकता है यह गीत चतुर्वेदी के पैतृक गांव का नाम हो. किसी से पूछने की हिम्मत इस लिये नहीं हुई कि मेरा नैसर्गिक हिन्दीभाषी 'ईगो' मुझे रोके हुए था. "क्या यार, इतना भी नहीं मालूम तुम्हें?" - सुनने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.

इधर कुछ ऐसा क्रम बना कि एक दो रोज़ पहले स्वयं गीत चतुर्वेदी का फ़ोन आ गया. हमारे बीच वह पहला फ़ोन था लेकिन शुरुआती झेंप के बाद मैंने वैतागवाड़ी का अर्थ पूछ ही लिया. गीत भाई ने अर्थ भी बताया और एक मराठी लेखक के बारे में भी.

भाऊ पाध्ये (१९२६-१९९६) बीसवीं सदी की मराठी साहित्य परम्परा के एक बड़े नाम थे. आधुनिक बम्बई के सामाजिक यथार्थ के तानेबाने को अपने रचनाकर्म का हिस्सा बनाने वाले भाऊ ने जो कुछ लिखा उस पर हमारे समय के बड़े कवि दिलीप चित्रे का कहना है: अब से कुछ सहस्त्राब्दियों बाद अगर बम्बई का कोई निशान नहीं बचेगा, तो पाध्ये की किताबों के माध्यम से पाठक बम्बई का चित्र अपनी आंखों के सामने देख पाएंगे. उपन्यास, कहानियां और पत्रकारिता में उल्लेखनीय कार्य कर चुके स्वर्गीय भाऊ पाध्ये का एक उपन्यास 'वैतागवाड़ी' गीत चतुर्वेदी के पसंदीदा उपन्यासों में है.

इस उपन्यास में बम्बई में रह पाने की जगह खोजने की भरसक कोशिश करते एक शख़्स का चरित्र-चित्रण है. और एक त्रासद विस्फोटक अन्त से पहले उसकी सारी कोशिशें हमेशा असफल होती जाती हैं.

मराठी शब्द 'वैतागवाड़ी' का शाब्दिक अर्थ इस लिहाज़ से हुआ आजिज़ी, ऊब और हताशा की मिलीजुली भावनाओं का अतिरेक. अंग्रेज़ी-अनुवाद में इस के लिये गीत ने एक शब्द बताया: EXASPERATION.

फ़िलहाल मुझे इस से एक बार और यह सीख मिली कि जिस चीज़ का अर्थ पता न हो, उसका अर्थ तुरन्त जानने की कोशिश की जानी चाहिये. वैसे तो "अज्ञान में परमानन्द है" वाला फ़लसफ़ा हिन्दीभाषी भारत में सबसे मुफ़ीद माना गया है पर कभी कभी थोड़ा नया जान लेने में क्या हरज़ा है. क्या कहते हैं भाईलोग?

(भाऊ पाध्ये पर अधिक जानकारी हेतु यहां जाएं. यह लिंक भी गीत चतुर्वेदी के सौजन्य से.)

21 comments:

योगेंद्र कृष्णा Yogendra Krishna said...

उन्हीं लोगों में से मैं भी था-- वैतागवाड़ी का अर्थ-संदर्भ बताने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया!

शायदा said...

जब मैंने गीत का ब्‍लॉग देखा था तो इस नाम को लेकर ऐसे ही सवाल दिमाग़ में आए थे जैसे आपने बताए। अर्थ जानने के लिए मैंने गीत से पूछने के अलावा बाक़ी सब किया। एक मराठी से बात की, नेट पर सर्च किया आदि-आदि। अच्‍छा किया आज तफ़सील में बता दिया सबकुछ। आपका धन्‍यवाद।
वैतागवाड़ी शब्‍द का अर्थ जानने की कोशिश में मेरे हाथ एक चीज़ लगी थी- इसका पूरा अर्थ मुझे समझ नहीं आया, कोई बता दे तो बहुत अच्‍छा।

Tyla paus aavdat nahi,tila paus aavdato
Dhag datun alyavar to tichya tavdit sapdto
Me tula aavdate pan paus aavdat nahi
Asal tuz ganit kharch mala kalat nahi

paus mhange chikhal sara,paus mhange margal
Paus mhange gar wara,paus mhange hirval
paus kapde kharab karto,paus vaitagvadi
Paus mhange bhijli paywat,paus mhange zadi
paus rengalaleli kame,paus mhange suti ugach
Pausat gupchup nistun man jaun basat dhagat

Dar varshi paus yeto dar varshi as hot
Pausa varun bhandan houn lokanmadhye hasu hot

Paus aavdat nasla tari ti tyala aavdate
Paus sakat aavdavi ti mhanun tihi zagdate

Rusun mag ti nigun jate bhijat rahate pavsat
Tyach tich bhandan as olya chimb divsat

Rajesh Roshan said...

वैतागवाड़ी के बारे में बताने के लिए धन्यवाद

sanjay patel said...

अशोक भाई;
शब्दों की इस पूछ-परख को हिन्दी वाले टालते हैं और यही वजह है कि नये शब्द भाषा में यात्रा नहीं कर पाते...बड़ा अच्छा लगा वैगातवाड़ी के बारे में जानकर.बज़रिये आपके गीत भाई से भी अर्ज़ करूंगा कि अपने ब्लाँग के कोने वाली पट्टी में वैगातवाड़ी का ख़ुलासा कर ही दें. शायदा आपा की मराठी कविता का मर्म मैं जान गया लेकिन भाषांतर की औक़ात मुझ में नहीं ..बस इतना कह पाऊंगा कि कविता बारिश के बारे में है जिसमें कहा जा रहा है उसको बारिश पसंद नहीं ; मुझे है ..वाक़ई कविता लाजवाब है..मैं किसी से तर्जुमा करवाने की कोशिश ज़रूर करूंगा.अल्ला हाफ़िज़.

हाँ एक बात तो कहना भूल ही गया>दूसरे किसी ब्लॉग पते के अर्थ के लिये इस तरह की चिंता पहली बार देखी अशोक भाई...साधुवाद आपकी इस सजगता और संजीदगी का.ऐसा हम सब करने लगें तो ब्लॉग विरादरी की आत्मीयता में और इज़ाफ़ा हो जाए.

Nandini said...

वैतागवाडी पर तो हम हमेशा जाते हैं... पढ़ते हैं... पसंद भी है... लेकिन हमने कभी सोचा ही नहीं कि इसका कोई अर्थ भी होगा... आपको पढा तो सोच रही हूं कि क्‍यों नहीं सोचा... वैसे इसका अर्थ है बहुत गहरा है... धन्‍यवाद, इसका अर्थ बताने के लिए... सही है आपकी बात... जान लेने में क्‍या हरजा है... ज्ञान ही तो बढ़ा...

गीत चतुर्वेदी बहुत सालों से लिख रहे हैं?
मैं उन्‍हें सावंत आंटी की लड़कियां से जानती हूं ... और उसके बाद साहब है रंगरेज से... दैनिक भास्‍कर के उनके लेखों से... उनकी कविताएं बहुत थोड़ी पढ़ी हैं, उनके ब्‍लोग पर ही...पर कहानीकार बहुत आला दर्जे के हैं... नई पीढी में वैसी अभिव्‍यक्ति किसी के पास नहीं... गीत, चंदन पांडे, कुणाल सिंह, प्रत्‍यक्षा, नीलाक्षी सिंह, सोनाली सिहं... ये लोग हटके लिखते हैं...

वैसे, धन्‍यवाद वैतागवाड़ी के बारे में बताने के लिए...

anurag vats said...

mujhe bhi nahin maloom tha...ab yh koi yogyata to nahin ki sab ki jamaat men itna batane ke liye shamil hua jaye...bas ashokji aapko shukriya khne aaya hu...phla to is shabd ke nirukt ke liye...main geet se kabhi-kabhar baat krta hu...yh shabd jehan men rahne ke bawjood choot jata tha..doosra...lust for life ke liye...maine na jane kitne mitron ko iski prati bhet ki...yahan nbt men sundarji aapke baare men batlate hai...aapka pathniya stambh bhi shuru hua yahan...in sab ke liye...aur kabadkhana ke liye ku nhin( bhale hi der se )...

अभय तिवारी said...

मुझे भी जिज्ञासा थी.. शमन करने के लिए शुक्रिया..

Dr. Chandra Kumar Jain said...

जानकारी के लिए आभार.
गीत जी का ब्लॉग हिन्दी समाज
के लिए उपहार की तरह है.....लेकिन
वह उत्तरदायी सोच को आहूत भी करता है.
अक्सर वहाँ पहुँच रहा हूँ इन दिनों.
===========================
डा.चंद्रकुमार जैन

Geet Chaturvedi said...

अशोक जी, आभार आपका. इस नाचीज़ को तो आपने चढ़ा दिया.
ख़ैर.
इसमें वाड़ी शब्‍द का अर्थ बस्‍ती है, और वैताग का आपने बता ही दिया है. भाऊ पाध्‍ये ने मुंबई को 'वैतागवाड़ी' कहा था, एक बहुत बड़े शहर में अपनी जगह और ज़मीन तलाशने में नाकाम होते एक आदमी की जि़ंदगी भी वैतागवाड़ी है, लगातार धकियाकर हाशिए पर फेंके जाते व्‍यक्‍ित का जीवन भी वैतागवाड़ी. शायदा जी द्वारा प्रस्‍तुत कविता में हैरान-परेशान कर देने वाली बारिश भी वैतागवाड़ी है. (आपको याद होगी तीन साल पहले की जुलाई वाली बंबई की बारिश.)
संजय जी, कोशिश करूंगा ब्‍लॉग में इसका अर्थ डाल दूं.
बाक़ी सभी का आभार. और नंदिनी जी, क्‍या बोलूं, इस संकेत के अलावा :)

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

अशोकजी को धन्यवाद एक मित्र (गीत) को इतने सम्मान के साथ अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए!

...और टिप्पणी में शायदाजी ने कुछ जिज्ञासा व्यक्त की है. कोशिश कर रहा हूँ-

साथियो, यह एक रोमांटिक कविता है. कुछ-कुछ 'प्यार हुआ.. इकरार हुआ' के भाव जैसी... अनुवाद तो नहीं शायदाजी, कुछ शब्दों और पंक्तियों का अर्थ देने की कोशिश कर रहा हूँ-

त्याला पाउस आवडत नाही, तिला पाउस आवडतो: प्रेमी को बारिश पसन्द नहीं है, प्रेमिका को है.
त्याला: उसे या उसको (पुल्लिंग) , पाउस: वर्षा या बारिश या बरसात, आवडत: पसंद, नाही; नहीं, ढाग: बादल, दतुन आल्यावर: घिर आने पर, तिला: उसे या उसको (स्त्रीलिंग), तवडित: पकड़ में, शिकंजे में, लपेटे में, आल्यावर: आने पर, सापडतो: मिलता है,

मी तुला आवडते पण पाउस आवडत नाही: मैं तुझे पसंद हूँ लेकिन तुझे बारिश नहीं भाती.
मी: मैं, तुला: तुझको, तुझ: तेरा, गणित खर्च: हिसाब-किताब, कळत नाही : समझ में नहीं आता है. पाउस म्हणजे: वर्षा का मतलब है..., चिखळ सारा: चारो तरफ कीचड़, मरगळ: उदास वातावरण, गार: ठंडी, वारा: हवाएं, हिरवाल: हरियाली, वैतागवाड़ी: परेशान होकर कंटाळ आ जाने की स्थिति, परेशानी, भिजली: भीगी हुई, पायवाट: पगडंडी, रेंगाललेली कामे: काम-धाम सुस्त हो जाना, सुटी: छुट्टी, उगच: बेकार, व्यर्थ में, खाली-फोकट, पावसात: बारिश में, जाऊन बसते: जा बैठता है, ढगात: बादलों में.

दर वर्षी पाउस येतो, दर वर्षी अस् होत: हर साल वर्षा आती है, हर साल ऐसा होता है, पाउस वरून: वर्षा को लेकर, भांडण: झगड़ा, वाद-विवाद, लोकांमधे: लोगों के बीच, हसू होतात: हँसाई होती है. पाउस सकट आवड़ावी: साथ में वर्षा पसंद आनी चाहिए, ती म्हणून ती ही झगड़ते: ऐसा कह कर वह भी झगड़ती है, रुसून मग ती निघून जाते: इसके बाद वह रूठ कर निकल जाती है, भीजत राहते पावसात: वर्षा में भीगती रहती है, त्याच: यही, तिच्या: उसका, भांडण: झगड़ा, अस्: ऐसा, ओल्या: गीला, चिम्ब: सराबोर, दिवसात: दिन में.

मला चांगली मराठी येत नाही तरीही पार पाडायचा प्रयत्न केलेला आहे. भूल-चूक देवी-घ्यावी!.

अब कविता का आनंद लीजिये.

वीरेन डंगवाल said...

shukriya geet,shukriya ashok,naujawan dosto tum sab ko
shukriya.
viren dangwal

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

गीत भाई का लेखन ज़बर्दस्त है - बहुत पसँद है -
वैताँगवाडी कविता भी सहज ,
सुँदर लगी .
विजय भाई
आप मराठी अच्छी समझ लेते हैँ जानकर खुशी हुई -
अशोक भाई का शुक्रिया,
हिन्दी ब्लोग जगत को
इस प्रविष्टी के जरीये
ये सारी जानकारियाँ मिलीँ --
- लावण्या

Ashok Pande said...

इतने सारे कमेन्ट्स देख कर मेरा विश्वास और भी दृढ़ हुआ है कि भाषा को लेकर सचेत और जिज्ञासु लोगों की हमारे यहां कमी नहीं है. ब्लॉग ने, जैसा कि मैं बार बार कहता रहा हूं, एक अद्वितीय प्लेटफ़ॉर्म मुहैया कराया है.

आप सब ने मिल कर देखिये एक मराठी कविता का मिलजुल कर हिन्दी अनुवाद करवा लिया वह भी बजरिये अंग्रेज़ी. मुझे आशा है आप सब इस बात का महत्व समझ रहे होंगे.

गीत भाई, आपने मेरे बताये अधूरे अर्थ को पूर्णता प्रदान की. धन्यवाद.

आप सभी का बहुत अहसान है. बस एक काम और कर दें. अब आप में से कोई भी शायदा जी द्वारा प्रस्तुत की गई कविता के विजय भाई द्वारा किये गये काव्यार्थ को पूरी कविता का फ़ॉर्म दे देते, तो बहुत अच्छा लगता.

शायदा said...

अशोक जी, आपकी बात मानकर कोई इस कविता का अनुवाद करके सामने लाए उससे पहले मैं संजय भाई का आभार प्रकट करना चाहती हूं जिन्‍होंने इतनी गंभीरता से सोचा इस कविता के बारे में। इसके बाद बहुत शुक्रिया विजयशंकर जी का जिन्‍होंने एक-एक शब्‍द को स्‍पष्‍ट किया और कविता को हमारे लिए समझने लायक बना डाला।

अजित वडनेरकर said...

जिसे विजयभाई शब्द दे रहे हैं हूबहू यही रचना मैं मराठी के ही एक एलबम -गारवा- में बरसों से सुन रहा हूं। अद्भुत प्रयोगधर्मी रचना है। बल्कि प्रयोगधर्मिता तो मराठी और मराठियों का स्वभाव है।
गारवा नाम के इस एलबम की सभी रचनाएं जबर्दस्त है। विजयभाई, अभयभाई, अशोक भाई, विमल भाई आप सभी इसे सुनें। ज़ी टीवी पर इसका कुछ बरस पहले भ्रष्ट किस्म का हिन्दी वर्जन देखने सुनने में आया था।

Arun Aditya said...

शुक्रिया कबाडी भाई, मैं भी जान गया कि वैतागवाडी क्या है।

इरफ़ान said...

"वैतागवाडी" यह ध्वनि ही मुझे इतनी रिपल्सिव लगती रही है कि मैं कभी इस ब्लॉग पर गया ही नहीं .नामों और उनकी ध्वनियों को लेकर एक अजीब क़िस्म का पूर्वग्रह मेरे मन में है और शायद इसीलिये महाशक्ति, ममता टीवी, पारुल चाँद पुखराज का,Gaur Talab, प्रत्येक वाणी में महाकाव्य जैसे ब्लॉग मुझे पास नहीं बुला सके. हो सकता है कि इनमें सार्थक कुछ हो और मैं उससे वंचित हूँ. आपने इस वैतागवाडी- जो मुझे बैलगाडी की ध्वनि के सबसे नज़दीक लगता रहा है और दूसरा आशय किसी गाँव के नाम से जुडता रहा है- का वास्तविक आशय स्पष्ट करके कम से कम इस रिपल्शन के बावजूद ग़ौर करने को मजबूर किया है कि मैं गीत के ब्लॉग पर नज़र रखूँ. धन्यवाद.

pallavi trivedi said...

shukriya...ek achche blog aur vaitagbadi ke baare mein batane ke liye

Geet Chaturvedi said...

वीरेन दा का ढेर सारा आभार. आपकी उपस्थिति ही बड़ी प्रेरक है.
विजय भाई ने अच्‍छा अर्थ दिया है कविता का.अभी देखा. शुक्रिया.

अवधूत डोंगरे said...

Nice to see mention of Bhau Padhye on your blog, you may like to visit- bhaupadhye.blogspot.com

ChandraPrakash said...

BATAGWADI KA MTALB JANANE K BAD AISA LG RAHA HAI KI LEKHAK VIR RAS SE JUDA HAI ,YA HATAS AUR HARA HUA MAN RAH-RAH KR UCHHAL MAR RAAHA HO AISE VICHARO SE JUDA HAI,,,,,,,,
PARANTU GEET JI TO JIWAN K YATHARTH SAMBANDHI LEKHO SE AKARSIT KRTE HAI,
SUCH ME IS CHHOTE AUR AJIB SE SABD ME PURI MUMBAI KI VARTMAN DASA CHHIPI HUI HAI