मित्रों,
कई दिनों से मेरे इंटरनेट कनेक्शन जी बीमार चल रहे हैं. आप सब मिलकर दुआ करो कि उनकी तबीयत संभल जाए और मैं बेफिक्र होकर ब्लागिस्तान की सैर कर सकूं साथ ही जो भी , जैसा भी कबाड़ मेरे कने रक्खा पड़ा है उसमें से कुछ आप सबके साथ शेयर कर सकूं. अभी आज तो सफर में हूं और थोड़ी -सी मोहलत पाते ही एक ढ़ाबे पर बैठकर ये 'चार लइनां'लिख रिया हूं. और कोई माल तो इस बखत ना है .क्यों ना अपनी पसंद का एक गाना सुन लिया जाय . तो साहब ! सुनते है- शारदा सिन्हा के स्वर मे 'कते दिन रामा भरब हम गगरी'
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1 comment:
भाई, आप बहुत ही लगन से सार्थकता के शिखर पर हैं.सफलता तो कई हैं पर सार्थक एकाध ही नज़र आते हैं.कई बार सोचा इधर आऊं लेकिन शहर दिल्ली कि व्यस्त फिर ब्लॉग का नया-नया-चस्का आज आखिर पहुच ही गया.
अफ़सोस हुआ, हाय हँसा हम न हुए की तर्ज़ पर कि हाय पहले क्यों न आया.
कई पोस्ट देखी.तेवर वही पर अंदाज़ और कंटेंट में जुदागाना असर.
हमारा भी ठिकाना है, जहां और भी भूले-भटके आ जाते हैं.गर आप आयें तो ख़ुशी ही होगी .
लिंक है
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