रवीन्द्र संगीत पर आधरित 'तुम कैसे ऐसा गीत गाते चलते' एक ऐसा अलबम है जो घाट - घाट का पानी पीने और नगरी -नगरी का फेरा लगाने के बावजूद आज तक मेरे संग्रह में सुरक्षित है. इसमे संकलित कवीन्द्र रवीन्द्र के गीतों का हिन्दी अनुवाद जलज भादुड़ी ने किया है और स्वर दिया है सुरेश वाड़कर और उषा मंगेशकर ने. आज जो गीत प्रस्तुत है उसे सुरेश जी ने गाया है, उषा जी की आवाज किसी और दिन.
इस पोस्ट के साथ लगा चित्र मशहूर चित्रकार एलिजाबेथ ब्रूनर द्वरा निर्मित है जो http://ignca.nic.in से साभार लिया गया है )
5 comments:
बढ़िया पोस्ट चच्चा !
जो चाही न गई वही चाहूं मै-कलिगुला.
चाह जिसकी नही वही चाहूँ मैं
बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत करने का धन्यवाद भाई
वाह्…कितना सादा पर अद्धभुत है ये
थैंक्यू सर!
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