हम सबके अज़ीज़ अशोक भाई का कबाड़खाना ...यानी हम सब का प्यारा ठिकाना ; अपनी पाँच सौंवी पायदान पर आ गया....मुबारक हो आप सबको ये सिलसिला. शब्द और स्वर का ख़ैरमकदम करता कबाड़खाना आपके स्वागत में आज रंग-रंगीले राजस्थान की माँड लाया है. जश्न मनाते हुए मुलाहिज़ा फ़रमाएँ बीकानेर राज-दरबार की बेजोड़ गायिका अल्ला-जिलाई बाई की गाई ये माँड. कैसे अनूठे सुर की मालकिन थीं ये लोक-संगीत गायिका. खनकती आवाज़ से झरते राजस्थानी अदब और रंगत के दमकते तेवर. ये आवाज़ आपको कहीं सिध्देश्वरी देवी, कहीं बेगम अख़्तर तो कहीं रेशमा की आवाज़ के टिम्बर की सैर करवाती है. आँख बंद कर सुनें, शब्द पर जाने की क्या ज़रूरत है....उस अहसास में जियें जो राजस्थान के मरूथल की रेत में दस्तेयाब है....तारीख़ और घड़ी को रोकने की ताक़त है इस आवाज़ में...आपके स्वागत में गातीं अल्ला जिलाई.....पाँच सौ नज़राने पेश करती माँड के साथ आपसे रूबरू....
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25 comments:
500वीं पोस्ट के लिए मुझ जैसा आलसी तो सिर्फ़ सोच सकता है। वास्तव में यह आसान काम नहीं है, हर दिन जब हज़ार तरह की बातें, विवाद और झगड़े ब्लॉग्स में चलते दिखते हैं तो यहां एक नई सौग़ात दिखती है जो मूड बदलकर रख दे। मैंने यहां बहुत सारी ऐसी चीजें देखीं जो और कहीं नहीं मिलीं। बहुत कुछ पाया मैंने यहां। सिलसिला बरकरार रखेंगे इस आशा के साथ आगे के लिए शुभकामनाएं और अब तक के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
मेरे सर्वाधिक पसंदीदा ब्लागों में से एक कबाड़खाना को शुभकामनाएं.
पांच सौवीं पोस्ट तक का सफर पूरा करने की बधाई। यह सफर पांच लाखवी पोस्ट तक भी पहुंचे।
500 वी पोस्ट!
बहुत बहुत बधाई, सफर जारी रहे और हम भी आपके सफर में एसे ही हमसफर रहें.
बधाई और शुभकानाएं सभी कबाडियों को।
अजी "कबाडखाना " का नाम तो असल मेँ "दौलतखाना " ही सही है !!
पर ये सारे " सिर्फ नाम के कबाडी लोग " हैँ ;-)
हुन्नरमँद, एकसे एक उम्दा बातोँ को सामने रखनेवाले , पारखी हैँ ये सभी ~~ ये माँड मन को मोहित कर गई - तो यही कहूँ " घणी खम्मा "
५०० वी पोस्ट एक कीर्तिमान है ~` बधाई !
- लावण्या
Congratulations!
बधाई और शुभकामनाएं। यह सब कबाड़ियों का कमाल है। हर तरह के विवादों से दूर सिर्फ और सिर्फ रचनात्मकता से हरा-भरा हमारा यह कबाड़खाना।
मैं आपको ५००वीं पोस्ट की बधाई देने से पहले अल्ला जिलाई बाई की आवाज में मांड सुनवाने के लिये बधाई देना चाहूंगा।
आहा.. क्या सुनवा दिया आपने। कब से सुने जा रहा हूँ पर मन ही नहीं भरा अब तक।
और हाँ अब ५००वीं पोस्ट के लिये कबाड़खाना टीम को हार्दिक बधाई। आप रोज इस तरह की चीजें सुनाया कीजिये।
500वीं पोस्ट की बधाई। बड़ी उपलब्धि है क्योंकि कबाड़खाने में कबाड़ नहीं बल्कि मोती हैं।
बधाई जी सभी कबाडियो को , बस यू ही कबाड ठेलते रहे हम इकट्ठा करते रहेगे :)
बधाई-बधाई-बधाई-anmol kabaad hai yahan...
500 vi post ke liye kabaadkhaane ke mukhia ko lakh-lakh Badhaian, unki dukaan jaldi hi Maal me badal jai.Taaki hamari bhi dukan chalni suru ho.
Rohit Umrao
अल्ला जिलाई बाई की आवाज में राजस्थान की शाश्वत लोक रचना सुनाने के लिए आत्मीय आभार । आवाज खनकदार ही नहीं, शरारती, नखरेदार भी लगती है-तेजाब की लकीर की तरह सीधी दिल में उतरती हुई । अवर्णनीय सुख मिला । फिर से आभार ।
मुझ नए-नए ब्नागीए के लिए पांच सौवी पोस्ट का हवाला ही आंखें विस्फारित कर देने वाला है । इस अप्रतिम उपलब्धि के लिए बधाइयां ।
पांच सौंवी पोस्ट की बधाई। हमारे ब्लाग की यह सफलता बहुत खास और अद्भुत है। बधाई मुखिया कबाड़ी अशोक दा !
उत्तमो उत्तम पोस्ट
बेहतरीन, बहुतसुंदर ।
५०० वीं पोस्ट की आपको हार्दिक बधाई !
आप सफलता के नए कीर्तिमान कायम करें !
यही शुभकामना है !
पाँच सौ...! वाऽऽऽऽऽऽऽऽऽह...कमाल है। कबाड़ के धंधे में इतनी बरक़त? भैया, हम तो जलने लगे हैं। मेरे एक मित्र ने कभी बताया था कि कबाड़ में कभी-कभी बहुत कीमती और दुर्लभ सामान मिल जाता है जो फ्रेश माल की दुकान पर खोजे नहीं मिलेगा... जबसे मैं यहाँ आने लगा हूँ तबसे मुझे इस बात का मर्म समझ में आ गया है।
बहुत बहुत बधाई...जमाये रहिए जी!
बधाई हो अशोक भाई !
bahut-bahut badhai...kabaadkhane se bahut seekha hai maine...uska sarthak aur safal prakashan prerak hai...500win post sachmuch ek manzil ki trah hai...chalte rahiye...shubhkamnayen...
बना रहे कबाङखाना, बने रहे कबाङी और कबाङ के खरीददार। शुभम्
ख़ूबसूरत प्रस्तुति !
धन्यवाद और शुभेच्छा |
सफर पर था...इस पर अब नजर पड़ी...बधाई
खूब खूब ...
अल्लाहजिलाई बाई की आवाज़ का तोहफा भी खूब रहा...
बधाई और शुभकामनाएं
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