Wednesday, August 20, 2008

कबाड़खाना की पाँच सौंवी पोस्ट – आपके स्वागत में राजस्थानी माँड


हम सबके अज़ीज़ अशोक भाई का कबाड़खाना ...यानी हम सब का प्यारा ठिकाना ; अपनी पाँच सौंवी पायदान पर आ गया....मुबारक हो आप सबको ये सिलसिला. शब्द और स्वर का ख़ैरमकदम करता कबाड़खाना आपके स्वागत में आज रंग-रंगीले राजस्थान की माँड लाया है. जश्न मनाते हुए मुलाहिज़ा फ़रमाएँ बीकानेर राज-दरबार की बेजोड़ गायिका अल्ला-जिलाई बाई की गाई ये माँड. कैसे अनूठे सुर की मालकिन थीं ये लोक-संगीत गायिका. खनकती आवाज़ से झरते राजस्थानी अदब और रंगत के दमकते तेवर. ये आवाज़ आपको कहीं सिध्देश्वरी देवी, कहीं बेगम अख़्तर तो कहीं रेशमा की आवाज़ के टिम्बर की सैर करवाती है. आँख बंद कर सुनें, शब्द पर जाने की क्या ज़रूरत है....उस अहसास में जियें जो राजस्थान के मरूथल की रेत में दस्तेयाब है....तारीख़ और घड़ी को रोकने की ताक़त है इस आवाज़ में...आपके स्वागत में गातीं अल्ला जिलाई.....पाँच सौ नज़राने पेश करती माँड के साथ आपसे रूबरू....
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25 comments:

शायदा said...

500वीं पोस्‍ट के लिए मुझ जैसा आलसी तो सिर्फ़ सोच सकता है। वास्‍तव में यह आसान काम नहीं है, हर दिन जब हज़ार तरह की बातें, विवाद और झगड़े ब्‍लॉग्‍स में चलते दिखते हैं तो यहां एक नई सौग़ात दिखती है जो मूड बदलकर रख दे। मैंने यहां बहुत सारी ऐसी चीजें देखीं जो और कहीं नहीं मिलीं। बहुत कुछ पाया मैंने यहां। सिलसिला बरकरार रखेंगे इस आशा के साथ आगे के लिए शुभकामनाएं और अब तक के लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद।

Ramashankar said...

मेरे सर्वाधिक पसंदीदा ब्लागों में से एक कबाड़खाना को शुभकामनाएं.

उन्मुक्त said...

पांच सौवीं पोस्ट तक का सफर पूरा करने की बधाई। यह सफर पांच लाखवी पोस्ट तक भी पहुंचे।

मैथिली गुप्त said...

500 वी पोस्ट!
बहुत बहुत बधाई, सफर जारी रहे और हम भी आपके सफर में एसे ही हमसफर रहें.

विजय गौड़ said...

बधाई और शुभकानाएं सभी कबाडियों को।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अजी "कबाडखाना " का नाम तो असल मेँ "दौलतखाना " ही सही है !!
पर ये सारे " सिर्फ नाम के कबाडी लोग " हैँ ;-)
हुन्नरमँद, एकसे एक उम्दा बातोँ को सामने रखनेवाले , पारखी हैँ ये सभी ~~ ये माँड मन को मोहित कर गई - तो यही कहूँ " घणी खम्मा "
५०० वी पोस्ट एक कीर्तिमान है ~` बधाई !
- लावण्या

Vineeta Yashsavi said...

Congratulations!

ravindra vyas said...

बधाई और शुभकामनाएं। यह सब कबाड़ियों का कमाल है। हर तरह के विवादों से दूर सिर्फ और सिर्फ रचनात्मकता से हरा-भरा हमारा यह कबाड़खाना।

सागर नाहर said...

मैं आपको ५००वीं पोस्ट की बधाई देने से पहले अल्ला जिलाई बाई की आवाज में मांड सुनवाने के लिये बधाई देना चाहूंगा।
आहा.. क्या सुनवा दिया आपने। कब से सुने जा रहा हूँ पर मन ही नहीं भरा अब तक।
और हाँ अब ५००वीं पोस्ट के लिये कबाड़खाना टीम को हार्दिक बधाई। आप रोज इस तरह की चीजें सुनाया कीजिये।

Hari Joshi said...

500वीं पोस्ट की बधाई। बड़ी उपलब्धि है क्योंकि कबाड़खाने में कबाड़ नहीं बल्कि मोती हैं।

Arun Arora said...

बधाई जी सभी कबाडियो को , बस यू ही कबाड ठेलते रहे हम इकट्ठा करते रहेगे :)

पारुल "पुखराज" said...

बधाई-बधाई-बधाई-anmol kabaad hai yahan...

Rohit Umrao said...

500 vi post ke liye kabaadkhaane ke mukhia ko lakh-lakh Badhaian, unki dukaan jaldi hi Maal me badal jai.Taaki hamari bhi dukan chalni suru ho.
Rohit Umrao

विष्णु बैरागी said...

अल्‍ला जिलाई बाई की आवाज में राजस्‍थान की शाश्‍वत लोक रचना सुनाने के लिए आत्‍मीय आभार । आवाज खनकदार ही नहीं, शरारती, नखरेदार भी लगती है-तेजाब की लकीर की तरह सीधी दिल में उतरती हुई । अवर्णनीय सुख मिला । फिर से आभार ।
मुझ नए-नए ब्‍नागीए के लिए पांच सौवी पोस्‍ट का हवाला ही आंखें विस्‍फारित कर देने वाला है । इस अप्रतिम उपलब्धि के लिए बधाइयां ।

शिरीष कुमार मौर्य said...

पांच सौंवी पोस्ट की बधाई। हमारे ब्लाग की यह सफलता बहुत खास और अद्भुत है। बधाई मुखिया कबाड़ी अशोक दा !

Radhika Budhkar said...

उत्तमो उत्तम पोस्ट

Unknown said...

बेहतरीन, बहुतसुंदर ।

ताऊ रामपुरिया said...

५०० वीं पोस्ट की आपको हार्दिक बधाई !
आप सफलता के नए कीर्तिमान कायम करें !
यही शुभकामना है !

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

पाँच सौ...! वाऽऽऽऽऽऽऽऽऽह...कमाल है। कबाड़ के धंधे में इतनी बरक़त? भैया, हम तो जलने लगे हैं। मेरे एक मित्र ने कभी बताया था कि कबाड़ में कभी-कभी बहुत कीमती और दुर्लभ सामान मिल जाता है जो फ्रेश माल की दुकान पर खोजे नहीं मिलेगा... जबसे मैं यहाँ आने लगा हूँ तबसे मुझे इस बात का मर्म समझ में आ गया है।
बहुत बहुत बधाई...जमाये रहिए जी!

Satish Saxena said...

बधाई हो अशोक भाई !

anurag vats said...

bahut-bahut badhai...kabaadkhane se bahut seekha hai maine...uska sarthak aur safal prakashan prerak hai...500win post sachmuch ek manzil ki trah hai...chalte rahiye...shubhkamnayen...

दीपा पाठक said...

बना रहे कबाङखाना, बने रहे कबाङी और कबाङ के खरीददार। शुभम्

Unknown said...

ख़ूबसूरत प्रस्तुति !
धन्यवाद और शुभेच्छा |

अजित वडनेरकर said...

सफर पर था...इस पर अब नजर पड़ी...बधाई
खूब खूब ...
अल्लाहजिलाई बाई की आवाज़ का तोहफा भी खूब रहा...

Gyan Darpan said...

बधाई और शुभकामनाएं