अभी कुछ ही दिन हुए जब 'कबाड़खाना' पर एक समूहगान 'जागो रे , जागो रे , जागो रे ' प्रस्तुत किया था जो कि नैनीताल की प्रतिष्ठित नाट्यसंस्था 'युगमंच' और 'जसम' द्वारा जारी कैसेट 'कदम मिला के चल' से लिया गया था. इस कैसेट के साथ ही 'जसम' नैनीताल ने उत्तराखंड आन्दोलन से उपजी कविताओं की एक पुस्तिका 'चलो मंजिल दूर नहीं' भी जारी की थी. आज उत्तराखंड राज्य गठन की आठवीं वर्षगाँठ के अवसर पर इस कैसेट और इस कविता पुस्तिका को याद करना तमाम संगी - साथियों को स्मॄति के गलियारे में विचरण का एक अवसर जरूर देगा और संगीत प्रेमियों को यह गान भला लगेगा ऐसी उम्मीद तो है ही. तो आइये सुनते हैं यह समूहगान -
आगे बढ़कर पीछे हटना वीरों का दस्तूर नहीं
चलो कि मंजिल दूर नहीं ...
चिड़ियों की चूं -चूं को देखो जीवन संगीत सुनाती
कलकल करती नदिया धारा चलने का अंदाज बताती
जिस्म तरोताजा हैं अपने कोई थकन से चूर नहीं
चलो कि मंजिल दूर नहीं ..
बनते - बनते बात बनेगी बूंद - बूंद सागर होगा
रोटी कपड़ा सब पायेंगे सबका सुंदर घर होगा
आशाओं का जख्मी चेहरा इतना भी बेनूर नहीं
चलो कि मंजिल दूर नहीं....
हक मांगेंगे लड़ कर लेंगे मिल जाएगा उत्तराखंड
पहले यह भी सोचना होगा कैसा होगा उत्तराखंड
हर सीने में आग दबी है चेहरा भी मजबूर नहीं
चलो कि मंजिल दूर नहीं ..
पथरीली राहें हैं साथी संभल - संभल चलना होगा
काली रात ढलेगी एक दिन सूरज को उगना होगा
राहें कहती हैं राही से आ जा मंजिल दूर नहीं
चलो कि मंजिल दूर नहीं .. चलो कि मंजिल दूर नहीं
शब्द - बल्ली सिंह चीमा
संगीत रचना - विजय कॄष्ण
कोरस - जगमोहन 'मंटू' , मॄदुला , संजय भारती , डिम्पल ,मंजूर , सुषमा ,मोहन , रीता , गोपाल , शैलजा , तनवीर, माधव , सुभाष , अनिल , सुनीता , विभास , दिनेश , त्रिभुवन एवं ज़हूर.
संगीत सहयोग - संतोष (तबला) , रवि (नाल) , प्रमोद (गिटार) ,अजय (तबला)
6 comments:
उत्तराखंड बनवाने के लिए क्या जज्बा था यह इस गीत से पता लगता है | लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद क्या उमीदें पूरी हुईं ?
bahut achha veer ras se bhara geet hai. sunkar achha laga. istarh ki rachnayen blog per kum milti hain. aabhaar.
apane college ka din yaad aagaya .. aapka dhero sadhuwad
bahut sundar laga ye samooh gaan, ras bhi hai, chhand bhi hai aur aananad bhi hai
prastuti ke liye badhaai
aapka
vijay tiwari '' kislay ''
मजेदार मनभावन और प्रेरणादायक गीत के लिये आभार !!!
भाई अभी सिस्टम में साउन्ड का लोचा है मगर ये सारे गाने मैंने भी खूब गाए हैं इन्हीं गायकों के साथ जाने कितने कितने नगर, गली, चौराहों पर.
बढि़या है इस तरह यादों में डुबो दिया जाना.
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