कबाड़खाना है इसलिए भी ....और कुछ कबाड़ भी है अपने पास ......
नए साल को कुछ इस अंदाज़ में शुरू करें तो क्या बुरा हो ?
एक ये GENIUS है जिस के बारे में कुछ भी कहना अपने बस में नहीं .....
आप भी सुनें .... ये यक़ीन करना भी मुश्क़िल सा लगता है कि इस गीत के संगीतकार "सलिल चौधरी" हैं और गीतकार "शैलेन्द्र" ..... फ़िल्म का नाम है : "हाफ़ टिकट"
3 comments:
थैंक्यू साहेब!
हां आशनाई उर्फ प्रेम की पूर्वावस्था को इस तरह से ट्रीट करना किसी जीनियस का ही हुनर हो सकता है। यह समय शायद इसी तरह से ही झेला जा सकता है।
किशोर कुमार की बात नहीं करेंगे......? जिन्होंने इस जबरदस्त रचना को अपनी शानदार आवाज से नवाज़ा।
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