पॉल एलुआर के अनुवादों के क्रम में आज उन की एक बहुत छोटी कविता:
सत्य
दुख के पंख नहीं होते न ही प्यार के न कोई चेहरा वे बोलते नहीं. मैं हिलता-डुलता नहीं मैं उनकी ओर टकटकी लगाए नहीं देखता मैं उनसे बात नहीं करता लेकिन वास्तविक हूं मैं अपने दुख और प्यार की तरह
1 comment:
कविता और अनुवाद दोनों (अच्छे) वास्तविक हैं।
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