Monday, May 18, 2009

आप की याद आती रही रात भर

अपनी यह पसंदीदा ग़ज़ल १७ जनवरी २०००९ को 'कर्मनाशा' पर सुनवा चुका हूँ, एक बार फिर यहाँ पर । अपने दो प्रिय शायरों - फ़ैज़ और मखदूम की यह 'जुगलबंदी' अद्भुत है और बड़े कवियों के बड़प्पन का कालजयी उदाहरण भी। इसके बारे में कुछ और जानने के वास्ते यहाँ का फेरा लगा लें तो ठीक रहेगा, तो आइए सुनते है उस्ताद हामिद अली खान साहब के स्वर में - आप की याद आती रही रात भर...


3 comments:

RAJNISH PARIHAR said...

बहुत ही सुन्दर रचना..!सुन कर अच्छा लगा...

Udan Tashtari said...

आभार इस प्रस्तुति के लिए.

विवेक रस्तोगी said...

वाह बहुत दिनों बाद गजल सुनी है, अच्छा है।