Friday, January 1, 2010

आज पूरे साठ के हो गये हैं शायर डॉ.राहत इन्दौरी.



वो अब भी इक फ़टे रूमाल पर ख़ुशबू लगाता है !

यक़ीनन हमारे राहत भाई ऐसे ही हैं. उर्दू शायरी का परचम उठा कर वे पूरी दुनिया में घूमते हैं;महंगे एयरलाइन्स में सफ़र करते हैं,सात सितारा होटलों में ठहरते हैं,रईस मेज़बानों के मेहमान होते हैं लेकिन अपने अतीत के उस फ़टे रूमाल को नहीं बिसराते जिसमें मध्यमवर्गीय ज़िन्दगी के संघर्ष की ख़ुशबू महकती है.कभी ग़ौर से सोचियेगा; हमें राहत की शायरी इतना क्यों छूती है,क्यों अपनी सी लगती है,क्यों उसमें हमार्री ज़िदगी के दु:ख-दर्द दिखाई देते हैं...इसका सीधा और आसान जवाब यह है कि यह शायर अपनी तमाम क़ामयाबियों के बाद भी अपने को बेहद मामूली इंसान मानने से नहीं झिझकता.
यूँ राहत इन्दौरी इतनी आसान भी नहीं कि अपने स्वाभिमान को दाँव पर लगा दें;वे पूरे होशो-हवास में सरल बने रहते हैं और फ़िर भी अपने ज़मीर की आवाज़ विक़ार विक़ार को दरकिनार नहीं करते. आज 2010 के की पहली तारीख़ को ज़िन्दगी के साठ साल पूरे कर रहे हैं देश के नामचीन शायर डॉ.राहत इन्दौरी.

राहत इन्दौरी की शायरी बहुत दिलकश है और पानीदार भी. वे अपनी लोकप्रियता के लिये कोई ऐसा सरल रास्ता नहीं चुनते जो शायरी की इज़्ज़त को कम करे. उनका लिखा उनसे ज़्यादा सामईन को याद रहता है. ये किसी शायर की लोकप्रियता का सबसे अहम पहलू है. राहत जब ग़ज़ल पढ़ रहे होते हैं तो उन्हे देखना और सुनना दोनो एक अनुभव से गुज़रना है. राहत के भीतर का एक और राहत इस वक़्त महफ़िल में नमूदार होता है और वह एक तिलिस्म सा छा जाता है. गुफ़्तगू सी लगती उनकी शायरी में सुननेवाला राहत के क़लम की कारीगरी का मुरीद हो जाता है. वे मुशायरों के ऐसे ऑलराउंडर हैं जिन्हें आप किसी भी क्रम पर खिला लें, वे बाज़ी मार ही लेते हैं. उनका माइक्रोफ़ोन पर होना ज़िन्दगी का होना होता है. यह अहसास सुननेवाले को बार-बार मिलता है कि राहत रूबरू हैं और अच्छी शायरी सिर्फ़ और सिर्फ़ इस वक़्त सुनी जा रही है. उनके शब्द और आवाज़ का करतब हिप्नोटाइ़ज़ सा कर लेता है. हाँ आवाज़ से याद आया...राहत इन्दौरी की शायरी इसलिये भी ध्यान से सुनी जाती है क्योंकि उनकी आवाज़ का तेवर अशाअर के मूड को रिफ़्लेक्ट करता है.

डॉ.राहत भाई कितना भी घूम-फ़िर रहे हों, समाज और अवाम के हालात पर उनकी सतर्क नज़र रहती है. परिवेश,रिश्ते,राजनीति,इंसानियत के सरोकार और उसके साथ होती ज़्यादतियों पर राहत भाई हमेशा बेबाकी से अपनी बात कहते आए हैं.उनकी कहन में सचाई भी होती है नसीहतें भी...

मेरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे
मेरे भाई,मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले.

या ये देखिये राहत भाई क्या कह रहे हैं....

लोग हर मोड़ पे रूक रूक के सभलते क्यूं हैं.
इतना डरते हैं, तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं.


राहत इन्दौरी ख़ालिस यारबाज़ शख़्सियत हैं. उन्हें गुज़रे से गुरेज़ नहीं,वे बड़ी शिद्दत से अपने किसी भी ग़रीब दोस्त के घर खाना खाते मिल जाएंगे,बुज़ुर्ग के पैर छूते दीख जाएंगे,या अपने शहर के भीड़ भरे बाज़ार के ओटले पर चाय सुड़कते जाएंगे.

राहत इन्दौरी की शायरी में रूमानी ग़ज़लों के सारे रंग दिखते हैं लेकिन साथ ही उनकी ग़ज़ल में बाग़ी तेवर भी मौजूद हैं जो राहत की इस सिफ़त की वजह से उन्हें अदबी दुनिया का बड़ा नाम भी बना देते हैं. वे अपनी शायरी में साहित्यिक उत्कृष्टता को शुमार कर सकते हैं तो बहुत आसान और घरेलू शब्दों का लिबास भी पहना सकते हैं..मुलाहिज़ा फ़रमाएं....


जुगनुओं को साथ लेकर रात रोशन कीजिये
रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जाएगी

और


चाँद को हमने कभी ग़ौर से देखा ही नहीं
उससे कहना के कभी दिन के उजालों में मिले

और ये देखिये एक जुदा अंदाज़....

उसकी कत्थई आँखों में हैं, जन्तर-वन्तर सब
चाकू-वाकू,छुरिया-,वुरियाँ,ख़जर-वंजर सब

या

गाय के कच्चे दूध के जैसे सादा हम
और हमारे नीले-नीले रिश्तेदार.



डॉ.राहत इन्दौरी को पूरे मालवा को फ़ख्र है. वे हमारी तहज़ीब की आन हैं.वे अपने शब्द का मान रखना जानते हैं और शायरी को उसकी श्रेष्ठतम ऊँचाइयों पर ले जाना चाहते हैं.
ग़ज़ल एक ऐसा शफ़्फ़ाक़ आइना है जिसके हर शे’र में एक नई तस्वीर मुस्कुराती है,
सिर्फ़ हुस्न और इश्क़ की बात नहीं वह ज़िन्दगी के हर पहलू की बात भी समझाती है.
यही वजह है साढ़े सात सौ बरसों से ग़ज़ल का हुस्न क़ायम है. राहत इन्दौरी का क़लम उस हुस्न की ख़ूबसूरती में इज़ाफ़ा कर रहा है. उनके हस्ते शायरी की आबरू महफ़ूज़ है.

21 comments:

Shiv said...

हीरा है हीरा, सर. राहत साहेब के बारे में जितना कहा जाय, कम होगा. न जाने कितने मुरीद टीवी पर देखकर ही धन्य हो जाते होंगे.

Shiv said...

हीरा है हीरा, सर. राहत साहेब के बारे में जितना कहा जाय, कम होगा. न जाने कितने मुरीद टीवी पर देखकर ही धन्य हो जाते होंगे. उन्हें जन्मदिन की हार्दिक बधाई.

सागर said...

उसकी कत्थई आँखों में हैं, जन्तर-वन्तर सब
चाकू-वाकू,छुरिया-,वुरियाँ,ख़जर-वंजर सब

सतपाल ख़याल said...

salute to this living legend.

Pratibha Katiyar said...

मेरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे
मेरे भाई,मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले.
wah kya baat hai!

निर्झर'नीर said...

मेरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे
मेरे भाई,मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले.

javab nahiii ...laajavab

जन्मदिन की हार्दिक बधाई.

तल्ख़ ज़ुबान said...

जनाब राहत इन्दौरी को बिना सठियाये साठ साल पूरा करने की बधाई. यह बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि एक दूसरे बड़े शायर जनाब बशीर बद्र साठ का होते ही सठिया गए थे और भाजपा की गोद में जा बैठे थे, अब उस गोद में उन्हें दस बारह बरस बीत गए होंगे. राहत साहब अद्भुत शायर हैं. मैंने मेरठ में उनका क़लाम सुना है .... उनका अंदाज़े-बयां भी सबसे जुदा है. मैं जनाब मुनव्वर राणा और राहत साब का ज़बरदस्त प्रशंसक हूँ. उनके हक़ में दुआ करता हूँ. नए साल में उनका क़लाम और भी निखरे.

अर्कजेश Arkjesh said...

बेमिसाल शायर ।

जुगनुओं को साथ लेकर रात रोशन कीजिये
रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जाएगी

Ashok Pande said...

संजय दद्दा, राहत साहेब पर इतनी उम्दा पोस्ट लगाने के लिए किन शब्दों में आपका शुक्रिया करूं. बहुत ज़रूरी पोस्ट!

राहत साहब को जन्मदिन मुबारक हो!

Randhir Singh Suman said...

आप सब को भी सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!

समय चक्र said...

राहत साहब को जन्मदिन मुबारक हो...

Udan Tashtari said...

राहत भाई को सुन पढ़ कर आनन्द आ जाता है.

जन्मदिन की बहुत शुभकामनाएँ उनको.


वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल

गौतम राजऋषि said...

ग़ज़ल को एक नया तेवर देने वाले इस जादूगर को सलाम मेरा...हम जैसे कितने ही राहत साब के दीवाने उनको पूजा की हद तक चाहते हैं।

उनकी और उनके अशआरों की जवानी सदा-सदा कायम रहे...!

naveen kumar naithani said...

तेरे होते हुए जिसको फिक्रे शराबो-जाम है साकी
वो रिन्दे-खाम, रिन्दे-खाम ,रिन्दे-खाम है साकी



















राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित

आपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।

अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।

आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ

डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

जय-जय बुन्देलखण्ड

बवाल said...

उसे कह दो के ये ऊँचाइयाँ मुश्किल से मिलती हैं
वो सूरज के सफ़र में मोम के बाज़ू लगाता है

ऐसे हैं हमारे राहत साहब,
है ना पटैल साहब। बहुत आभार आपका उनकी सालगिरह पर उनसे रूबरू कराने का।

नीरज गोस्वामी said...

राहत साहब का शायरी सुनाने का अलग अंदाज़ उन्हें अपने दौर के शायरों से कहीं ऊपर उठा देता है...लाजवाब अदाकारी के साथ शायरी सुनना कोइ उनसे सीखे...अपनी अदाओं से वो सामईन को अपनी गिरफ्त में यूँ जकड़ते हैं जैसे अजगर अपने शिकार को...फर्क सिर्फ ये है की अजगर का शिकार उसकी गिरफ्त में दम तोड़ देता है और राहत भाई का शिकार उनकी गिरफ्त में बार बार आ कर सुकून पाना चाहता है...राहत भाई दिल से शायरी करते हैं और दिल से सुनाते हैं...जब तक वो बिकाऊ नहीं बनेगें उनकी शायरी खासो आम की शायरी बनी रहेगी...सात सितारा होटलों की चमक अच्छे अच्छे शायरों को शायरी करना भुला देती है..राहत भाई जब तक इस से बचें रहें तब तक हम उनके मुरीद राहत की सांस ले सकते हैं...

आज उनके जन्म दिन पर परवर दिगार से दुआ करते हैं की वो बरसों बरस यूँ ही अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करते रहें...आमीन.

नीरज

दिनेश पालीवाल said...

अगर ख़्याल भी आए कि तुझको ख़त लिक्खूँ
तो घोंसलों से कबूतर निकलने लगते हैं


जन्मदिन मुबारक हो राहत साहब

Ek ziddi dhun said...

yaar ye admi itna cheekhta kyun hai?

rishi upadhyay said...

yeh raahat banee rahe...!!!

Anonymous said...

Rahat Indori is one of the over-rated poets and uses political sermon as his delivery style just similar to the one used by Pakistani firebrand MQM leader Altaf Hussain in his youth days. Hear any of Altaf Hussain speeches on the Youtube and you will know what I am talking about.

He is more like an orator than a poet of any substance.