Wednesday, March 17, 2010

कलर ऑफ़ पैराडाइज़

माजिद मजीदी ईरानी मूल के फ़िल्मकार हैं और ख़ासे मशहूर. उनकी दो महान फ़िल्में हैं - द चिल्ड्रेन ऑफ़ हैवन और कलर ऑफ़ पैराडाइज़. मैंने यह दोनों फ़िल्में शायद दर्ज़न दर्ज़न बार देखी हैं और अब तक यह तय नहीं कर पा रहा कि दोनों में से बेहतर कौन सी. सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों की महत्ता को रेखांकित करतीं इन दो फ़िल्मों से इतर शायद बहुत कम होंगी जिन्हें मैंने देखा है. और यक़ीन मानिये मैं बहुत फ़िल्में देखता हूं.

आज देखिये कलर ऑफ़ पैराडाइज़ की एक क्लिप और चन्द तस्वीरें. फ़िल्म के बारे में विस्तार से जानने हेतु फ़िल्म की ऑफ़िशियल वैबसाइट पर जाने का कष्ट करें.

कहीं से भी इन्हें जुगाड़िये और देख लीजिये. वैसे पूरी फ़िल्म यूट्यूब पर भी देखी जा सकती है. मनी बैक गारन्टी.





10 comments:

Ashok Kumar pandey said...

द चिल्ड्रेन आफ़ हेवन तो देखी है और जबर्दस्त है वह फिल्म…अब इसे भी देखता हूं…

Chandan Kumar Jha said...

इन फ़िल्मो को जरूर देखूंगा ।

भारत भूषण तिवारी said...

मुझे तो उनकी नवीनतम फिल्म 'दि सॉंग ऑफ़ स्पैरोज़' भी बहुत अच्छी लगी.

मुनीश ( munish ) said...

If cinema is any reflection of its society, then Iran is wrongly maligned as a 'rogue country' or 'evil of axis' by US and its cronies.
I have also seen some Irani films . Children, pet animals and innocent pleasures of life are always in focus. Iran is way apart from fundamentalist Arab world

शरद कोकास said...

विगत 13,14.15 नवम्बर को जन संस्क्रति मंच

Ajeet Shrivastava said...

माजिद माजिदी जिस तरह से अपनी फिल्मों में रंग भरते हैं...काबिल-ए-तारीफ है....चिल्ड्रेन ऑफ़ हेअवेन और रंग-ए-खुदा तो बेहतरीन है ही ....गुजारिश है कि बारन और पेदार (फादर) भी देखिये....जबरदस्त है....

अपूर्व said...

ओह, इन दोनो फ़िल्मों का जिक्र मुझे भी इमोशनल करता है..वैसे तो आमतौर पर पर्शियन फ़िल्में मानवीय संबंधों को उनके सबसे मूल स्तर पर जा कर टटोलती हैं..मगर यह फ़िल्में उससे भी अगले लेवल पर जाती हैं..चिल्ड्रेन ऑफ़ हेवेन जहाँ हमारे भीतर की सबसे कोमल और निर्दोष भावनाओं को कटालाइज करती हैं वहीं कलर ऑफ़ पराडाइज मुझे 70mm पर लिखी सबसे खूबसूरत पोएट्री की तरह लगती है..जिसके रंग आंखों के रास्ते हमारी रगों मे दाखिल हो जाते हैं ...इसी से मुताल्लिक एक और फ़िल्म टाइम फ़ॉर ड्रंकेन हार्सेज पर कभी तवज्जोह देने की सिफ़ारिश करूंगा जो कुर्दिश फ़िल्मकार बहमान घोबाडी (टर्टल्स कैन फ़्लाई वाले)की है..

KUNAL SINGH said...

subhagya se maine ye film dekhi hai. majid ki ek aur film hai- BARAAN. irani men iska arth shayad baarish hota hai. ghazab ki love story hai. jyadatar majid ne baal man ko khubsoorati se pakadne wali filmen banai hain. chahe Children of Heaven ho ya Color of Paradise, ya fir Fathe hi kyo na ho. lekin Baraan men unhone (shayad)pahali bar ek utni hi khubsoorat love story rachi hai. hamare samay ke adbhut sinemadan hain majid saab. han, abhi unki ek aur fil yad aai, Song of Sparrow.
Kunal Singh (bhashasetu.blogspot.com)

KUNAL SINGH said...

सचमुच ये एक अद्भुत फिल्म है. मजीद की एक और फिल्म है- बाराँ. शायद पर्शियन में इसका अर्थ बारिश होता है. क्या खूब लव स्टोरी है. मजीद की ज्यादातर फ़िल्में बालमन को उसकी पूरी नज़ाक़त के साथ पकड़ने वाली फ़िल्में हैं. चाहे वो चिल्ड्रेन ऑफ़ हेवेन हो या फादर या उक्त फिल्म कलर ऑफ़ पैराडाईज ही, लेकिन बाराँ में मजीद ने (शायद पहली बार) एक लव स्टोरी की नज़ाक़त को उतनी ही खूबसूरती से पकड़ा है. हाँ, उनकी एक और फिल्म याद आई, सॉन्ग ऑफ़ स्पेरोज. निश्चित रूप से मजीद हमारे समय के एक बहतरीन सिनेमादां हैं.
कुणाल सिंह (bhashasetu.blogspot.com)

sanjay vyas said...

इस पोस्ट के साथ इसका पहला टुकड़ा कल देखते ही इसे पूरा देखने की बेचैनी बढ़ गयी थी. और आज सुबह यू ट्यूब पर इसे टुकड़ों टुकड़ों में क्रमवार देखकर ही चैन मिला.अंतिम दृश्य में अगर लड़का अपने पिता की गोद में न आता तो शायद ये चैन भी न मिलता. खैर,लाजवाब है फिल्म.अवर्णनीय.नेति नेति कहकर ही इसके बारे में कहा जा सकता है या फिर वही 'अद्भुत'जैसे क्लीशे में.

आभार.

मुंबई जा रहा हूँ आज ही, तो इनकी कुछ और फिल्म आकर देखना तय किया है.