Thursday, March 25, 2010

आज चैती का यह दिव्य गान.....


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फागुन तो कबका बीत गया
अपने पीछे छोड़कर
अबीर - गुलाल के रंग भरे चिह्न - निशान
अब चैत आया है
तपती गर्मियों से ठीक पहले की
एक सुखद छाँव की तरह।
दिन अलसाने लगे हैं
रातों में बाकी है हल्की खुनक....
क्या किया जाना चाहिए
ऐसे में आज
आइए सुनते हैं
वही स्वर
वही आवाज
जिसे सुन कर जुड़ा जाता हृदय
धन्य होते हैं कान...
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तो फिर सुना जाय पं० छन्नूलाल मिश्र जी के स्वर में आज चैती का यह दिव्य गान.....
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4 comments:

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

यह भारतीय धरोहर है........चैता.....
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यह पोस्ट केवल सफल ब्लॉगर ही पढ़ें...नए ब्लॉगर को यह धरोहर बाद में काम आएगा...
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_25.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....

DHARMENDRA LAKHWANI said...

क्या कहें, ऐसा बहुमूल्य संग्रह सिर्फ़ 'कबाड़खाना' पर ही मिल सकता है. धन्यवाद.

मुनीश भाई को संदेश दिया था शायद आपको मिला होगा.

شہروز said...

आप बेहतर लिख रहे/रहीं हैं .आपकी हर पोस्ट यह निशानदेही करती है कि आप एक जागरूक और प्रतिबद्ध रचनाकार हैं जिसे रोज़ रोज़ क्षरित होती इंसानियत उद्वेलित कर देती है.वरना ब्लॉग-जगत में आज हर कहीं फ़ासीवाद परवरिश पाता दिखाई देता है.
हम साथी दिनों से ऐसे अग्रीग्रटर की तलाश में थे.जहां सिर्फ हमख्याल और हमज़बाँ लोग शामिल हों.तो आज यह मंच बन गया.इसका पता है http://hamzabaan.feedcluster.com/

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

मंत्रमुग्ध हूँ पंडित छानुलाल मिश्र का चैता सुनकर |

धन्यवाद !