Wednesday, March 31, 2010

पहली फ़िल्म की रोशनी

आलोक धन्वा की यह छोटी सी कविता अपनी सादगी की वजह से मुझे अतिप्रिय है:



जिस रात बांध टूटा
और शहर में पानी घुसा

तुमने ख़बर तक नहीं ली

जैसे तुम इतनी बड़ी हुई बग़ैर इस शहर के
जहाँ तुम्हारी पहली रेल थी
पहली फिल्म की रोशनी

4 comments:

मुनीश ( munish ) said...

पाकिस्तानी अदाकारा ज़ेबा बख्तियार पे फिल्माया गया हिंदी गाना है --".........अनारदाना, अनारदाना ...'' . हू-ब-हू उसी कम्पोजीशन में गूंजता रहता है दिल में " कबाडखाना...कबाडखाना ....अपना सच्चा और अच्छा कबाडखाना ....". !

सागर said...

bahut sundar....

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

kya baat hai!

प्रज्ञा पांडेय said...

sachmuch seedi see baat hai kavita men bahut shikayati lahaja liye !sunder hai.