मन बिला वजह थोड़ा ख़राब भी था और गर्मी ने दिमाग के परखच्चे उड़ाए हुए थे. मैंने गर्मी को चिढ़ाने की नीयत से शेक्सपीयर के अपने प्रिय नाटकों में से एक
अ विन्टर्स टेल निकाल दिया. कुछ देर मज़ा रहा लेकिन फ़ायदा कुछ ख़ास नहीं हुआ. एक पंक्ति पर निगाह थमी और फिर जैसा था वैसा ही हो गया. आप भी पढ़ें:
What's gone and what's past help
Should be past grief.
4 comments:
good
Try Hamlet or Antony and Cleopatra.
Or, you can muse upon my translation of 'koi dost hai na raqeeb hai/ tera shehr kitna ajeeb hai.
गत्यतु न शोचति पण्डितः
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