"शादी कब कर रहे हो ?"
"अभी फिलहाल दो-तीन साल तक तो नहीं |"
"तुम्हारा ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है |"
मेरे ब्लड प्रेशर का मेरे विवाह करने से मुझे कोई सीधा संबंध नजर नहीं आता | डॉक्टर से ज्यादा जानते हो क्या तुम ? मैंने मन ही मन पापा को साक्षात दंडवत किया |
"बेटा वो जो पेपर हैं, वो मैंने मुनिरका में उस मोहना को दिए हैं | तू उससे पेपर लेके उसपे डॉक्टर अंकुर के साइन करा लेना, डॉक्टर अंकुर के केवल | हैं ? ठीक है ? वो मोहना गया था उस दिन, पर वो अंकुर नहीं था वहाँ | फिर उसने, वो नी है वहाँ, वो, क्या नाम उसका...हाँ... कांशी, उसको दिए थे पेपर, पर वो भी नहीं करा सका |"
"हेलो! हाँ पापा! हाँ, अब बोलो क्या करना है ?"
"कागजों पे दस्तखत करवाने हैं |"
"ठीक है |" मैंने फ़ोन रख दिया | डॉक्टर से साइन करवाने में कोई ख़ास दिक्कत नहीं आई | बस मुझे रात को नॉएडा रूककर, सुबह भागकर एम्स जाना था | एम्स में ब्लड सैम्पल देकर वापस नॉएडा आकर पिछले दिन कराये पेनग्राफ लेवल की रिपोर्ट लेनी थी | उसके बाद नाश्ता करके मुनिरका जाना, वहाँ से कागजात लेकर एम्स जाकर, डॉक्टर से साइन करना था | सामयीन गौर फरमायें कि मैंने लंच नहीं किया है और सुबह से डी टी सी बसों में सफ़र कर रहा हूँ | एम्स कोई बुरी जगह नहीं है, पर अगर तुम जल्दी जल्दी वहाँ काम ख़तम कर लो | अगर वहाँ किसी डॉक्टर को ढूंढ रहे हो तो भुतहा मूवी का सा सीन हो जाता है | फर्श पर एक आदमी लेता हुआ है, सोया है या मर गया है, मैं नहीं जानता | जल्दी से उसे नज़रअंदाज करके मेरी आँखें उस सफ़ेद कोट पर लगी हैं, वो जरूर डॉक्टर अंकुर होगा | अपने आगे खड़े आदमी को कंधे से पकड़कर लगभग एक तरफ धक्का देते हुए मैं आगे आगे भागा | एक झलक पीछे मुड़कर देखा तो आदमी का बांया कन्धा था ही नहीं | एक औरत बार बार पानी के कटोरे में कपडा डुबोकर अपनी गोद में कुछ साफ़ कर रही थी | गौर से देखा, एक मरगिल्ला सा बच्चा गोद में पड़ा था, जिसके माथे पर वो पानी की पट्टी रख रही थी | उसका सिर्फ सर दिख रहा था, हाथ-पैर जैसे थे ही नहीं |
"अरे! वो पार्वती का हसबैंड मर गया |" एक सभ्रांत सी दिखने वाली महिला ने जरा नज़ाकत से मुस्कुरा के कहा |
"ओहो ! बेचारी की जिंदगी में कभी सुख ही नहीं रहा | पिछले एपिसोड में बेटी के साथ 'गलत' हो गया, अब उसका पति मर गया |" सभ्रांत महिला 2 ने अफ़सोस जाहिर किया |
"चार नंबर बेड के पेशेंट के साथ कौन है ?" वार्ड-बॉय ने पूछा |
"जी, मेरे पति हैं |" सभ्रांत महिला 2 ने कहा |
"उनका ब्लड प्रेशर लो हो गया है | उनके लिए कुछ नमकीन, चिप्स ले आइये |"
"जी अच्छा |" सभ्रांत महिला 2 ने पर्स से मोबाइल निकालकर किसी सुनीता को फोन करके आदेश जारी कर दिया |
"और पेशेंट नौ नंबर बेड के साथ ?"
"जी! माय मदर-इन-ला |" सभ्रांत महिला 1 ने कहा |
"उनका डायलिसिस हो गया है |" वार्ड-बॉय ने मेरी ओर देखा | "चलो, आपका नंबर आ गया | वेट कर लो अपना |"
मैं वेट मशीन पर जाता हूँ | 52 केजी, 4 . 5 केजी बढ़ गया है |
"कितना पानी निकलना है ?" मेरे गले पर लगे केथेटर को डायलिसिस मशीन से जोड़कर वार्ड-बॉय पूछता है | मुझे लेटकर रहना है अब, चार घंटे | हफ्ते में दो दिन, दिन में चार घंटे | चार पॉइंट पांच केजी पानी के लिए |
पार्क में लोगों ने अपना घर ही बना लिया था, कपडे तारों पर सूखने के लिए डाले हुए थे | दिन का खाना बन रहा था | कुछ लोग लेटे हुए थे | खड़े रहने की कूव्वत उनमें भी नहीं थी, जो बचे हुए थे | इस बीच एक परिवार ने रोटी का टुकड़ा उछल दिया किसी कुत्ते की तरफ | दूर से एक कव्वे ने तेजी से नीची उड़ान भरी , झपट्टा मारके टुकड़ा छीन लिया | इस ख़ुशी से ज्यादा देर तक खुश नहीं रह सका वो | चारों तरफ से साथी कव्वों ने उस पर हमला कर दिया |
"भाईजान, डॉक्टर साहब ने तो बोल दिया है |"
"चलो कोई बात नहीं, उपरवाला ही अब सबकुछ है |" अली भाई कुछ संजीदा हो गए |
बुर्के से एक निस्तेज बूढ़े चेहरे ने बाहर झाँका | आँखें छलछलाने को हुई जाती थी | घर कौन संभालेगा ? आदिल ने अली भाई की ओर देखा | घर संभालने जैसा इसमें क्या था ? चार साल से बाप की दवा में ही तो घर बर्बाद हो चला था | पार्क के इस घर में खाना नहीं बना था, अब शायद आज बने भी नहीं | राजू की माँ ने आदिल को बुलाया, आजा लल्ला खा ले कुछ | आदिल ने अली भाई की ओर, अली ने माँ की तरफ देखा, जा बेटा अंटी बुला रही है |
"लंच टाइम है, डॉक्टर अंकुर नहीं मिलेंगे |" कांशी ने मुस्कुराते हुए कहा |
(जी, मुझे पता है | लेकिन एक गुजारिश थी भाईजी आपसे |) पापा इसी तरह बात शुरू करते, मुस्कुराकर | "जी, एक्चुली मुझे 1288 / 07 की फ़ाइल चाहिए थी | मुझे डॉक्टर अंकुर से पेपर ... "
"आज सुबह ब्लड सैम्पल दिया था ?" कांशी ने मेरी बात काट दी |
"जी !"
"तो चिंता मत करो, फ़ाइल को जहाँ पहुँचना होगा, पहुँच जायेगी |"
मैंने एक बार फिर पापा की सहनशीलता को नमन किया |
"जी, वो कह रहे हैं कि रिपोर्ट वहाँ नहीं आई, और रिपोर्ट गयी तो यहीं से थी | कृपया कर के बता दीजिये साहब, बड़ी मेहरबानी होगी |" पापा ने छोटी सी खिड़की में आँख घुसाते हुए पूछा |
"देख, मैं बोला न तुझको कि रिपोर्ट हम लोग यहाँ से भेज दिए | अब तू मेरे सर पे क्यों बैठ रहा है ?"
"साहब, अब हम क्या करें अगर रिपोर्ट नहीं मिली तो ?"
"डॉक्टर से बात कर, दूसरा फॉर्म लेके फिर से ब्लड सैम्पल दे |"
पापा कुछ रुआंसे हो गए | तेजी से आगे आगे चलने लगे |
"बड़ी मुसकल करके तो खून बनता है और ये अपड़ी माँ के खसम, साले उसको भी चूस लेते हैं | साले हरामजादे, किसी को किसी से कोई हमदर्दी नहीं है |"
मैं इतना तेज नहीं चल सकता था |
"तुम भविष्य हो न, इसलिए तुम्हारे डायलिसिस के टेम पे तुम्हारे मम्मी-पापा साथ आते हैं |" सभ्रांत महिला 2 के पति ने कहा | मैंने उनकी तरफ पलटकर देखा, कहा कुछ नहीं |
"मैं तो गुज़र गया हूँ न, मेरे साथ कोई नहीं आता | सिर्फ ये आती है, ये भी पता नहीं कब तक | बच्चे तो किसी के हुए ही नहीं | पाँच बेटों में से चार के साथ ब्लड ग्रुप मैच होता था, लेकिन किसी ने हाँ नहीं कहा किडनी देने के लिए |" उसकी आँखों से आंसू की धार बह निकली |
"बाबा, ज्यादा बोलो मत |" नर्स ने कहा और फिर से अखबार में आँखें घुसा ली | नर्स को लेकर मेरे दिलोदिमाग में जितने भी चित्र थे उन्हें मैंने खुद ही घोंट घोंट के मारना चाहा |
"उसने भी कहा | बहुत वास्ता दिया, कि कमीनों, बाप है वो तुम्हारा | एक किडनी नहीं दे सकते तुम लोग | तो हम लोगों से साफ़ कह दिया कि बाबा डायलिसिस के पैसे हम दे देंगे | हम दे देंगे ? पैसे ? मेरा बिजनेस, बंटवारे के टेम पे भाई ने रखा था | आज ये लोग उसे अपना बिजनेस बताते हैं | अपना पैसा ? अरे जिस पैसे को मैंने कभी अपना नहीं बोला, हमेशा भाई को नज़र करके बिजनेस किया ... उसे ये हरामी.. " उसका गला रुंध गया |
"बाबा! आपका ब्लड प्रेशर फिर से लो हो जाएगा |" ये कहते हुए नर्स बाहर सभ्रांत महिला 2 को बुलाने के लिए चली गयी |
मैं लिफ्ट में घुसा | बस किसी तरह धंस गया | पीछे किसी ने मुझे बलात एक तरफ धकेला हुआ था, "दांयी तरफ रहो !!!" मैंने गुस्से से उसकी तरफ देखा | स्ट्रेचर पे एक डेड बॉडी पड़ी हुई थी | तीन फीट की बॉडी, सफ़ेद कपड़ों में सही से बांधी हुई बॉडी | वो आदमी बिलकुल निश्चिन्त खड़ा था | शायद उस बॉडी का कुछ लगता था, पर जैसे जाहिर नहीं होने देना चाहता हो | मेरे अन्दर गुस्सा अभी भी भरा था, लेकिन किससे ? "क्या यार लाइफ में कोई नहीं मिली, लिफ्ट में भी मुर्दे ही मिलते हैं |" अपने क्रूर मजाक पर मेरा खुद अट्टहास करने का मन कर रहा था | दो साल पहले अगर पापा ने किडनी नहीं दी होती तो शायद मुझे भी ऐसे ही पैक किया हुआ होता | साढ़े पाँच फीट की बॉडी | किसी को क्या फर्क पड़ता ? पापा ऐसे ही खड़े होते | निर्विकार, निर्लिप्त, उपरवाला ही सबकुछ है | कुछ चारएक साल पहले मैंने पूजा करना छोड़ दिया था | मेरे मूक और निरीह क्रोध को स्वर मिला था, जब किसी मूवी में मैंने नायिका को कहते हुए सुना कि जन्नत में आपके खुदा का गिरेबान पकड़कर पूछूंगी कि जो कुछ मेरे साथ हुआ क्या वो उसका इन्साफ था |
"न जाने कौन से जनम के पाप हैं मेरे ये !!!" माँ की आँखों में आँसू थे | जो यकीनन माँ के ही आँसू थे, लेकिन माँ के ये आँसू निकलने में बहुत ज्यादा वक़्त नहीं लेते थे | रात को अचानक मुझे हाँफता हुआ पाकर माँ, जो कि मेरे पैरों की तरफ लेती रहती थी, ने एकदम से डरकर सारे कुलदेवताओं को श्राप दिया कि उनके ऊपर बिजली गिरेगी और वो सब राख के ढेर में बदल जायेंगे | उसके बाद माँ ने चौरंगी से विनम्र हाथ जोड़कर निवेदन किया कि उसके बच्चे को कम से कम सोने तो दें | श्राप का प्रभाव चौरंगी देवता से उठा लिया गया था, और बदले में उन्हें मुझे रात की नींद देनी पड़ी | मगर भैरों, महाकाली, हुण नाग श्राप से भयभीत कांप रहे थे | 'जातक की कुंडली में कारावास का योग है' दादा जी ने इतने शान से ये सब कुंडली में लिखा था जैसे आई ए एस का योग लिखा हो |
"माँ, मुझे डर लग रहा है |" मैंने बाईस साल का सच स्वीकार किया | कभी नहीं कहा किसी से कि मुझे डर लग रहा है | किस चीज़ से ? पता नहीं | माँ हैरान होकर मेरी तरफ देखती रही, मगर कहा कुछ नहीं, रोना भी रुक गया था |
"ऐसा नहीं बोलते मेरे बच्चे !" माँ ने मुझे सीने में छुपा लिया |
"विक्की पढ़ रहा था एक कॉपी ... अच्छा तो तुम्हारी थी वो | तुम लिखते हो ?" गौरव ने सिगरेट सुलगाई | दो-चार गालियाँ एक शादीशुदा को दी जिसके साथ उसके प्रेम-संबंध थे | फिर उसके अंगों का विश्लेषण परत दर परत हमारे सामने उघड़ने लगा | मैंने श्रद्धा को याद किया | खुश होगी वो अपने हसबैंड के साथ | लेकिन क्यों छोड़ा उसने मुझे ? बस, अब और सवाल नहीं, खासतौर पर ये सवाल जिसका जवाब मुझे पता है | एक लड़की मिली है आजकल, माइक्रोबायोलोजी टीचर, लगती भी ठीक ठाक है | बार बार कहती है, ओह आई लव यू जानू | मैं तुम्हारे साथ पूरी लाइफ बिताने को तैयार हूँ | देखो तुम्हारा फिजिकल प्रॉब्लम इज नथिंग टू मी | यीअह!!! मेरी फेमिली को थोड़ा प्रॉब्लम हो सकता है, बट डोंट वरी, मैं उन्हें मना लूंगी | जीत की ख़ुशी जैसे मोबाइल से छनछना उठी हो | पता नहीं ऐसे वक़्त पे मुझे श्रद्धा क्यों बहुत याद आती है, और उसका ये कहना कि अगर मेरे पापा हाँ कहेंगे तो ... | लड़की का चेहरा बुरी तरह से जल गया था | एक आँख की जगह बस कोलतार का गड्ढा रह गया था | स्किन स्ट्रेचर पर चिपक गयी थी | बॉयफ्रेंड, उसके दोस्तों ने रेप करने के बाद जला दिया था | आजतक ने ग्रेटर नॉएडा से खबर दी थी | सफदरजंग में भर्ती कर दी गयी है, शायद मरने वाली है | बच गयी तो घरवाले उसकी मौत मांगेंगे | लड़की का नाम आरती है, उसके सारे प्रेम संबंधों की जांच पड़ताल की गयी | लड़कों के साथ पिक्चर देखने जाती थी, छोटे कपडे पहनती थी, गाड़ी तेज़ चलाती थी, जॉब करती थी | कुल मिलाकर, चैनल वाली लड़की के मुताबिक, लड़की का चरित्र ठीक नहीं था | इसके तुरंत बाद वो बिपाशा और करीना की एक सेट पे एक स्पेशल ड्रेस के लिए हुई तू तू मैं मैं की स्पेशल रिपोर्ट दिखाने वाले थे | मुझसे कहीं नहीं जाने की और उनके साथ बने रहने की अपील की गयी थी |
केबिन नंबर ग्यारह, डॉक्टर अंकुर |
"बारह अठासी !!!"
"जी डॉक्टर, मैं हूँ |"
"अरे तुम तो वही हो न जिसका चलते डायलिसिस में शंट निकल गया था ? डॉ विश्वास, इस लड़के का चलते डायलिसिस में शंट निकल गया था, सर गंगाराम में डायलिसिस कराता था ये | बहुत खून बह गया था |"
मुझे याद था | कैसे भूल सकता था, माँ पागलों की तरह चिल्लाई थी | "डॉक्टर! ए भैया! अरे ए भैया!! देखो न, बहुत खून निकल रहा है | इसको रोको | ए भैया! ए सोहन..." वार्ड-बॉय भागते हुए आये थे, मुझे थोड़ा नशा सा होने लगा था | आउट ऑफ़ बॉडी एक्सपीरिएंस, भांग पीकर अजय बोला | कुछ कुछ वैसा ही क्या ? पता नहीं मैं नशा नहीं करता | तुम भविष्य हो ... सभ्रांत महिला 2 के पति के शब्द मेरे कानों में गूँज रहे थे | तुम्हारे साथ तुम्हारे मम्मी - पापा हैं, मेरे साथ कोई नहीं ... वो आदमी अभी हँसने लगा था | मेरे मम्मी पापा साथ रहकर भी क्या कर लेंगे ? दांयी तरफ रहो... लिफ्ट के अँधेरे कोने से आवाजें आ रही थी | अजय ने उलटी कर दी है, मैं उसे साफ़ कर रहा हूँ | कव्वे फिर से चीखने लगे हैं, किसी ने रोटी उछाल दी है | अगर मेरे पापा हाँ कहेंगे तो ... श्रद्धा ने नाखून से जमीन कुरेदते हुए कहा | श्रद्धा के घर से शादी का कार्ड आया है | शादी कब कर रहे हो ? अभी फिलहाल दो तीन सालों तक तो नहीं | तुम्हारा ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है | मैंने कुछ नहीं कहा | डॉक्टर ने कुछ दवाएं घटा दीं, कुछ बढ़ा दीं | ओह, डोंट वरी हनी, यू नो आई लव यू | आई विल आलवेज़ बी दियर फॉर यू | मोबाइल वाइब्रेट करने लगा था | "डॉक्टर! ये कुछ पेपर और बिल्स हैं | सर, प्लीज़ जरा साइन कर दीजिये |"
"हो गए आखिर डॉक्टर के साइन ? कितने के बिल हैं ये ?" कांशी ने मुहर लगाते हुए पूछा |
"चालीस हज़ार"
कांशी ने नकली आश्चर्य दिखाया, "अभी तक तुम कम से कम दस बिल तो ऐसे ले जा चुके हो, और वो शुरू वाला दो लाख का अलग | काफी पैसे मिल गए होंगे तुम लोगों को तो गोरमेंट की तरफ से ?"
"हाँ" मैंने कांशी की ओर देखा, मुस्कुरा दिया |
"ये साले, हरामी, अपड़ी माँ के खसम !" मेरे सहनशील पिता ने उक्ति की |
"कौन पापा ?"
"अरे बेटा! एक से एक बढ़कर जोंक बैठे हुए हैं सरकारी कार्यालयों में | अपने ही ऑफिस में दो लाख के बिल पे चालीस हज़ार तो खिलाने पड़े | बाकी और बिल अभी प्रोसेस ही नहीं हो रहे | वो कह रहे हैं कि सी एम ओ के साइन नहीं हैं इसमें, वो भी चाहिए | पता नहीं मिलेगा भी पैसा कि नहीं |"
पिता के चेहरे की निराशा मुझे बहुत ज्यादा विचलित नहीं करती | मैंने तो बहुत कुछ झेला है न | हँसता हूँ...नहीं,,,रोता हूँ...नहीं ...नोकिया के सेल पे स्नेक खेलता हूँ |
"आज तेरे दादा के मौत हो गयी |" माँ ने शांत भाव से कहा, "चल अच्छा हुआ, बेचारे गुज़र गए | नहीं तो लोग बोलते कि बुड्ढा खुद तो मरा नहीं, पर काल उसके एवज में पोते को ले गया |"
दादा का चेहरा मेरे आगे घूम गया | शांत, अविचलित जैसे व्यक्तिवाद का अस्तित्व कहीं खो गया हो | "तू अपने बाप के लिए आज इतनी परायी हो गयी ? मर गया क्या तेरे लिए तेरा बाप कि तू उसे देखने भी नहीं आई ?" कोई अन्य सभ्रांत मरीज़ बेड नंबर सात पर मोबाइल कान में रखकर रो रहा था |
"हार्ट-अटैक आया था तेरे बाबूजी को | बस स्नेहा स्नेहा करते रहे |" सभ्रांत महिला 3 ने फोन ले लिया, "बोले बहुत बुरा किया उसे साथ | उसी की सजा मिल रही है | अरे अपनी ही बच्ची थी, क्या हुआ जो विजातीय से शादी की | एक बार हाल-चाल तो पूछती ... " सभ्रांत महिला 3 ने अचानक से फोन हाथ से गिर जाने दिया, "स्नेहा के पति की किडनी खराब हो गयी है | आलोक... आलोक ने किडनी दी, नौ साल के आलोक ने ..." सभ्रांत महिला 3 का पति फिर से हार्ट-अटैक खा गया शायद |
एम्स रेलवे रिज़र्वेशन काउंटर पर काफी भीड़ थी, खैर मुझे कोई रिजर्वेशन नहीं कराना था | लेकिन लाइन में सारे मायूस चेहरे, भीड़ में एक भी लड़की नहीं | इस बात पे भी गुस्सा आ जाता है, लेकिन क्या कर सकता हूँ | पता नहीं, अस्पताल में लडकियाँ क्यों नहीं आती किसी के साथ | आती हैं तो हमेशा जली हुई | मेरे अन्दर का इंसान रोज़ घुटता है, मरने की कोशिशें करता है | कभी देखता हूँ कि किसी आरती को मैंने जला दिया, सभ्रांत महिला 2 के पति का गला घोंट दिया | राजू, आदिल के खाने में जहर मिला दिया | आलोक, नौ साल की उम्र में मसीहा बनता है, मार डाला उसको भी | मेरे जिस्म पर खून के कई धब्बे हैं | खुद को छलनी छलनी किया है, लेकिन मौत नहीं | आँखों के कोने से आँसू की बूंदे छलक जाती है, बरबस मेरे हाथों में एक गिरेबान आ जाता है | दुनिया के दोमंजिले पर बैठने वाले का क्या यही इन्साफ है ?
"तुम वादा कर सकती हो कि तुम मुझे छोड़ कर नहीं जाओगी ?" मैं बिनब्याही माँ की तरह पूछता हूँ, "क्यों एक अधूरे आदमी के साथ जिंदगी गुजारना चाहोगी तुम भी ?"
"डोंट से लाइक दैट | प्लीज़, इट हर्ट्स | ये सब बार बार मत सुनाया करो |" उसकी आवाज भर्रा आई है | मैं अपने आप से ही शर्मिंदा हूँ, इसलिए चुप रहता हूँ |
"... ... ... विल यू मैरी मी ?" मोबाइल के दोनों तरफ सिर्फ ख़ामोशी धड़क रही है |
9 comments:
samaj ka rishton ka khkhala sach bahut shiddat se likha hai aapne....
rongte khare ho gaye janaab...
... prasanshaneey lekhan !!!
Behtarin...
Bas nishabd hun, aur stabdh hun..
Janmdin li haardik shubhkamnayen..
Ishwar tumhe lambi aayu de......
पूरा नहीं पढ़ पाया. शान्दार लिखा है. लेकिन अभी समय नहीं है .रात को देखूँगा.
गोया दिल ले गए दोस्त .....
feel connected back to the world of words which gives you every emotion of life..... jaise bas abhi to... wahi to hoo main
back to the world of words....thanks
shaping all emotions in ink...
इसे लेखक का विजयी लेख कहूँ या मनुष्य के जीवन की "विवेचना " ... जो भी ...
सारे रस भर गये लेख में और सारे रंग देख सका मैं जीवन (अतीत ) में ...
you are a born writer ..keep it up brother !!!
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