Wednesday, December 22, 2010

No Greater Love

वो मेरे सामने खड़ा था, सर झुकाए हुए, पेरिस का मशहूर गैंगस्टर, जोनाथन रिवेट उर्फ़ ली टिरेयर (दी शूटर) | "जोनाथन रिवेट, आप पर मुकदमा चलाया गया था, 12-06-1956, जगह ल्योन,  तीन पुलिसवालों की हत्या का | आप दोषी साबित होते है | 3-12-1960, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका में वाशिंगटन नरसंहार जिसमे कि बेंजामिन डेमी, एंजेलो बेनिटो, गुस्ताव लोस्सेलिअनी और इतालियन माफिया फॅमिली हेड विनसेंजो अंतोनियो मारे गए थे, आप के इशारे पे हुआ था | आप दोषी पाए जाते हैं |" उसने एक नजर मेरी ओर देखा | मैं लगातार उसकी तरफ देखता रहा | "माइकल कार्लसन ने आपकी शिनाख्त जोनाथन रिवेट उर्फ़ ली टिरेयर उर्फ़ दी  शूटर के रूप में की है | इस अदालत को इस बात में कोई शक नहीं कि आप ही जोनाथन रिवेट हैं | आप पर लगे इलज़ाम सही पाए गए हैं | आप को फांसी की सजा सुनाई जाती है |" उसकी आँखों में कोई भाव प्रकट नहीं हुए | ये मेरे लिए कोई हैरानी की बात नहीं थी | अक्सर सुनवाई के दौरान मुजरिम पूरी तरह खामोश रहता है | उसके चेहरे पर दुःख, पश्चाताप, अवसाद के कोई चिन्ह नजर नहीं आते | "08-02-1963, पीपुल'स बैंक में लूट | दोषी पाए गए, बीस साल कैद की सजा | 11-05-1965, मार्सिली कैदखाने से चार पुलिसवालों की हत्या करके फरार | दोषी, 20 साल कैद |" हर सज़ा के साथ मेरी बेचैनी बढती जा रही थी, "आप एक जुर्मों की फेहरिश्त काफी लम्बी है | आप पर कोई भी रहमदिली करना गवर्नमेंट ऑफ़ फ्रेंच रिपब्लिक की कमजोरी होगी | साथ ही हमारी सुरक्षा से समझौता भी | आपको कहने का मौका दिया गया था, जिसमे आपने अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को खारिज किया था, किन्तु आप दोषी पाए गए है | कई बार आपको सुधरने का मौका दिया गया था, किन्तु आप हर बार सुरक्षा घेरा तोड़कर भाग गए थे | इसलिए ये अदालत आपको सजा-ऐ-मौत का ऐलान करती है |" मेरी नम आँखों में उसके प्रति कोई हमदर्दी नहीं थी | "ये अदालत इस बात का भी ध्यान रखेगी कि अब जब आपके जुर्म साबित हो चुके है तो सजा भी आपको जल्द ही मिले, क्योंकि सजा में देर करना इन्साफ के खिलाफ होगा |" कोर्ट में तालियाँ गूँज उठी | इन लोगों को सिर्फ सज़ा से मतलब है, किसे क्यों मिल रही है ये जानने की कोई जहमत नहीं | 'आर्डर इन द कोर्ट' कहते हुए मैंने पेन एक तरफ रख दिया और न्यायलेखा को बन्द कर दिया, "जोनाथन रिवेट! आपको कुछ कहना है ?"

1939, विले ग़ाइअ | वो दूसरे महायुद्ध के दिन थे | अफवाहें थी, कि जर्मन फौजों ने पेरिस पर कब्ज़ा कर लिया है और कुछ ही दिनों में फ्रांस पूरी तरह से जर्मन उपनिवेश बन जायेगा | जॉनी कहता था कि जर्मन को हम गाइअ में नहीं जीतने देंगे | वो कई तरह की रणनीति बनाने की भी बात करता था | हमारे घर के पास में दो बड़ी बड़ी चट्टानें थी, जिन्हें जॉनी हॉट गेट्स कहता था | जॉनी की योजना के मुताबिक वो जर्मन फौज को यहाँ पर रोकेगा | ग्रीक आर्मी ने  हॉट गेट्स के युद्ध में पर्शिया के लाखों की फौज का मुकाबला केवल कुछ हज़ार सैनिकों से किया था | मैं हमेशा कमजोर खिलाडी था इसलिए उसके बैटल ऑफ़ हॉट गेट्स मुझे ही नाज़ी बनना पड़ता था | मैं हमेशा हार भी जाता था क्योंकि यही होना भी चाहिए था | रेडियो में एक दिन खबर आई कि युद्ध टल गया है क्योंकि चेकोस्लोवाकिया जर्मनी से हार गया है और उसने जर्मनी को सुदेतेंलैंड सौंप दिया है | हमारे स्कूल फिर से खुल गए थे | मुझे पढ़ने का बहुत शौक था इसलिए मुझे स्कूल जाना अच्छा लगता था, लेकिन जॉनी ने स्कूल जाना छोड़ दिया था | जॉनी के पिता के अचानक गायब होने के बाद उसकी माँ स्टेला को शराब में ही सुकून मिला | लोगो का यही मानना था कि स्टेला ने ही अपने पति की हत्या की है | जॉनी अक्सर मेरे घर पर ही रहने लगा था | उसकी ख़ामोशी धीरे धीरे उसके अन्दर एक अजीब सा गुस्सा भर गयी | जॉनी मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, जिसे मैं उसके अपने ही गुस्से से हार रहा था | अगर उस वक़्त किसी ने मुझे संभाला था तो वो थी एलेनोर मेलविले, लेकिन जॉनी को कोई नहीं संभाल सका | विले गाइअ में ये खबर गर्म थी कि जर्मनी ने फिर से फ्रांस पर हमला कर दिया है |

1945, जॉनी का कहीं कोई पता नहीं था | कुछ साल पहले उसका घर जल गया था, जिसमे स्टेला की मौत हो गयी थी | उसके बाद से ही जॉनी ग़ाइअ छोड़ चुका था | नयी कहानियों के अनुसार जॉनी ने ही स्टेला को जलाकर मार डाला है | मुझे पता था कि वो ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन मैं किसी को कुछ नहीं समझा सकता था | उस शाम वो मेरे पास आया था, "हिटलर सारी दुनिया पे राज करेगा" उसने कहा था | लेकिन ऐसा नहीं हुआ | हिटलर का कहीं कोई पता नहीं चला था | अमेरिकंस ने उसे उसी के कैम्प्स में तडपा तडपा के मारा | कुछ कहते कि उसने ख़ुदकुशी कर ली | कुछ कहते कि वो अभी छुपा हुआ है और सही वक़्त आने पर दुनिया के सामने आएगा | इस बीच मैं वकालत पदने के लिए बोरेदोक्स चला गया | एल मुझे हर महीने ख़त लिखती रही | उसके खतों से पता चला कि जॉनी ग़ाइअ वापस आ गया है और वो माफिया बेनिटो शेरिफ्फ़ के गैंग में काम करने लगा था | जॉनी के बारे में सुनकर मुझे दुःख होता था, मैं कहीं से भी ये स्वीकार नहीं कर सकता था कि वो किसी की हत्या कर सकता है | इस बात की ख़ुशी थी कि वो अभी भी मेरे आसपास ही है | नाज़ी जर्मनी के अफसरों पर मुकदमा चला, जो हमारे लिए एक कोर्टरूम रिहर्सल थी | एक समर प्रोजेक्ट से ज्यादा उसकी अहमियत थी भी नहीं | 45 अफसरों को उम्र कैद की सजा सुनाई गयी, ऐसे जैसे बच्चों के झुण्ड को टॉफी बांटी जाती है | उनका सिर्फ एक ही वजूद था कि वो नाज़ी जर्मनी के अफसर थे| सजा सुनाने के बाद जज ने कहा "न्याय में देर करना, न्याय नहीं करना है |"

1950, एल और मैं एक दूसरे के लिए समर्पित थे | एक शाम हम हाथ थाम कर डौन गिओवानी के विओलिन कंसर्ट से आ रहे थे | तभी मैंने देखा कि लेन के आखिरी छोर पर एक साया खड़ा है, उसके हाथ में रिवोल्वर देख कर हम ठिठक गए | वो हमारे करीब आया, लैम्पपोस्ट की हलकी सी रौशनी उसके चेहरे पर पड़ी | इस चेहरे को मैं पहले से पहचानता था, अचानक एल मेरे सामने आ गयी, "प्लीज़, नो! नो!" एल की चिंता मैं समझ सकता था, वो मेरे लिए चिंतित थी ...लेकिन ...लेकिन एल नहीं पहचान सकी थी उसे शायद | उफ़, कितना खतरनाक हो गया था वो | दांयी आँख के नीचे गहरा जख्म का निशान अब सिर्फ क्रूरता ही प्रदर्शित कर रहा था | उसने एक नजर मुझे देखा, फिर एल को, फिर किसी उहापोह में वो थोडा आगे आया | अचानक मुड़कर एक दिशा में अँधेरे में घुल गया | एल की आँखों में अब भी डर समाया था | उसे सहारा देकर मैं धीरे धीरे चलने लगा | आज, अचानक इतने सालों बाद, मगर क्यों ... मेरा दिमाग सवालों का जवाब नहीं ढूंढ पा रहा था | क्या वो मुझसे मिलने आया था ... क्या वो मुझे मारने आया था ... वो क्यों आया था | कुछ देर बाद मैंने दो पुलिसवालों को भी उसी दिशा में भागते हुए देखा |

1952, एल मेरी दुनिया में ख़ुशी बनकर आई | मैं, एल और हमारी बेटी एन, हर तरह से हँसता खेलता परिवार | एल ने मुझे सहारा दिया, जिसकी मुझे हमेशा से बहुत जरूरत थी | एल का हौसला, उसकी साफगोई, जिंदगी को लेकर सीधा द्रष्टिकोण, समस्याओं का सीधा समाधान खोजने की क्षमता ने मुझे कभी भी टूटने नहीं दिया | वक़्त गुजरता गया, और एल मेरे अपने अस्तित्व के लिए जरूरी होती गयी | इस बीच जॉनी के बारे में खबरे आती रहती थी | वो ल्योन छोड़ चुका था, शायद हर शहर जहाँ उसके होने का जरा भी शक होता वो छोड़ चुका था | कुछ कुछ महीनो में वारदातों की खबर आने पर पता चलता कि जॉनी उस शहर में था | 
"पापा, हिटलर क्या सचमुच बहुत बुरा आदमी था ?" दस साल की एन ने मुझसे पूछा |
"तुम्हें ये सब किसने बताया ?" मैं हैरान था | 
"आपकी पुस्तक 'अ डेविल'स मोकिंग' में मैंने पढ़ा |"
"हाँ माय लव! बहुत बुरा था | लेकिन तुम मेरी ये सब पुस्तक क्यों पढ़ती हो |" 
"ऐसे ही ... आपके समय में तो दुनिया बहुत खतरनाक रही होगी न ?" 
"एन! दुनिया हर दौर में ऐसी ही रहती है | बुराई और अच्छाई का संघर्ष हमेशा ही रहता है |" 
   

1965, मेरी कांच की दुनिया का एक कोना दरक चुका था | मैं अभी भी उसी जगह पर था, पार्क में उसी बेंच पर, जहाँ एल मेरी कमीज़ पर फूल पतियाँ बनाने का शौक पूरा करती थी |  पत्तों की सरसराहट के साथ मैं जागा | मेरे गालों को एल ने छुआ शायद, मैंने झटके से उसका हाथ हटा दिया | वो पत्ता जमीन पर गिर गया | एल कहीं नहीं थी | आखिरी वक़्त में उसने मुझसे कहा - "जॉनी और मैं एक दूसरे को चाहते थे | लेकिन अपनी ही माँ का क़त्ल किया था उसने | उसके बाद उसने गाइअ छोड़ दिया और मैंने उसका इंतज़ार..." सांस टूटने लगी थी, "मुझे लगा था कि मुझे शायद अपने निर्णय का पछतावा होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ ... तुम एक अच्छे पति ही नहीं, मेरे एक अच्छे दोस्त भी साबित हुए | मुझपर इतना विश्वास करने के लिए तुम्हारा शुक्रिया | मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ |" 
मेरी आँखें नम हो चली थी | हवा काफी तेज़ चलने लगी | खिड़की खुली, और एल डायरी के पन्नो की तरह मेरे वजूद में बिखर कर रह गयी | अब वहां पर सिर्फ एक ठंडा अहसास था | जिंदगी में पहली बार मुझे खुद से शिकायत हुई थी , एल मेरा हिस्सा थी |

1975, कोर्टरूम में जॉनी सर झुकाए हुए सारे फैसले सुन रहा था | "जोनाथन रिवेट! क्या आपको कुछ कहना है ?" मैंने पानी का एक घूँट भरा | "मुझे एलेनोर मेलविले से मिलना है | क्या मुझे इजाज़त है ?" जॉनी ने धीमे स्वर में कहा | "इजाज़त है |" मैंने कोर्ट की कार्यवाही स्थगित कर दी | आज जॉनी मेरे घर पर आया है | मेरे घर के आसपास की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है | जॉनी पहले भी कई बार भागने के प्रयास कर चुका है | 
"ये हमारी बेटी एन है |" मैंने एन को जॉनी से मिलाया | 
"हाई एन! क्या आप मुझे जानती है ?" जॉनी ने पूछा | 
एन के चेहरे पर असमंजस के भाव थे, अजनबी लोगों से मिलना एल को बिलकुल पसंद नहीं है | 
"एन एक क्राइम रिपोर्टर बनना चाहती है |" मैंने कहा | 
जॉनी मुस्कुराया, "तब तो मुझे जरूर जानती होंगी |" 
"एन! ये मेरे और तुम्हारी माँ के बचपन के दोस्त जोनाथन रिवेट हैं |" मैंने एन का परिचय जॉनी से करवाया | 
"ली टिरेयर !" एन ने मुस्कुराकर कहा | "माँ ने एक-दो बार कहा था आपके बारे में |"
"तुम्हारा चेहरा बिलकुल एल पर गया है, लेकिन थोड़ी देर पहले का गुस्से भरा चेहरा अपने पापा पर |" जॉनी ने कहा और एन हँस पड़ी | एल मेरी आँखों के सामने आ गयी और नजरें कब पिघलकर पलकों से लड़ने लगी , पता ही नहीं चला | आँख बन्द कर मैंने एल को बह जाने दिया | 
"शाम को यहाँ हवा काफी तेज़ हो जाती है |" मैंने जॉनी को अपना कोट दिया | हम दोनों साथ साथ चलने लगे | ठंडी हवाएं चलने लगी थी, हम पार्क में ही उस बेंच पर बैठ गए जहाँ ... "तुम और एले यहाँ बैठते हो ?" जॉनी ने पूछा | 
"अब नहीं" मैंने छोटा सा जवाब दिया | 

"मुझे पता है कि तुम अपनी माँ की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं हो |" वक़्त ये सवाल काफी पीछे छोड़ चुका था, लेकिन फिर भी ये पूछना मुझे जरूरी लगा | "मेरी माँ बहुत हिम्मती और बहादुर औरत थी |" जॉनी की आँखें क्षितिज के पार देख रही थी | "तुम जानते हो कि मेरे पिता अचानक गायब हो गए थे | बेंजामिन रिवेट, एक किसान ... किसी की क्या दुश्मनी हो सकती थी उनसे ?  डौन अल्ताबेलो का विरोध करते  हुए उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी थी | यहाँ बन्दूक की नली रखी थी उनके |" जॉनी ने अपनी आँखों की तरफ इशारा किया | "और एक झटके में आँखे सर को फाड़कर बाहर आ गयी थी | ये सब हुआ था, ग़ाइअ शहर के क़ानून-रक्षक के सामने ... तुम्हारे पिता के सामने |" उसने मेरी तरफ देखा | मेरे जबड़े भिंच गए थे | "गाइअ ने मेरी माँ के बारे में वो सब कुछ कहा जो वो कह सकते थे | वो बेचारी सब कुछ सहती रही | हर रोज़ डौन हमारे घर आता था , और मैं माँ को बेबस देखता था | सिर्फ मेरी खातिर , डौन की इच्छाओं को पूरा करना उसकी मजबूरी बन गयी थी | डौन ने धमकी दी थी कि वो मुझे भी वैसे ही मार डालेगा जैसे मेरे पिता को |" 
सूरज डूब रहा था | नीला आसमान सांझ के हलके पीली रौशनी में और भी अकेला लगने लगा था | "तो क्या डोंन ने स्टेला को मारा ?" मेरा सवाल मेरे हलक में कांटे सा चुभता रहा | "एक रात जब डौन नशे में धुत्त माँ के साथ था, तो माँ ने घर को आग लगा दी | उस शाम मैंने गाइअ छोड़ दिया | हॉट गेट्स से मैंने एक बार मुड़कर देखा था, माँ का बदला पूरा हो गया था |" जॉनी ये सब कुछ इस सहजता से कह गया जैसे कुछ हुआ ही न हो | 
"क्या तुम्हें पता था कि ऐसा होने वाला है ? तुम्हारी माँ खुद भी तो ..." मैंने फिर से पूछा | "क्या एल ये सब जानती थी ?" 
मेरा सवाल एक पल को उसे भी चौंका गया | "एल के पिता जीन-पट्रित मेलविले ये सब जानते थे | लेकिन उन्होंने किसी को कुछ नहीं बताया, एल  को भी नहीं | और वो हमेशा मुझे ही कातिल समझती रही |"
"तुमने एल को कभी खुद क्यों नहीं बताया ?" मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा | 
"एल के परिवार ने मुझे कभी उससे मिलने नहीं दिया, और उस रोज जब मैं उसे ये सब बताने आया था, तो वो तुम्हारे साथ थी | यकीन मानो, मैंने एल को इतना खुश कभी नहीं देखा था | वो मुझसे नफरत करने लगी थी शायद |" और वो ये कहते हुए हँसने लगा |
मुझे उसका ये कहना कुछ कुछ एक व्यंग्य सा लगा | इसलिए बातों को बदलना जरूरी हो गया | "तुम क्या यहाँ से भागने की कोशिश करोगे ?" मैंने उसकी आँखों में देखा | 
"शायद |" वो हँसा |
"तुम जानते हो कि अब तुम्हारे भागने की कोशिश करने पर तुम्हें पकड़ने के बजाय शूट करने का आदेश दिया है |" 
मेरे सवाल का जवाब उसने सवाल से दिया | "क्या अब मैं एल से मिल सकता हूँ ?" 

मैं उसे एल के पास ले गया | 'जॉनी! मैं तुमसे प्यार करती हूँ' एल के आखिरी शब्द थे | एल ने मुझे वादा लिया था कि उसकी कब्र पे यही शब्द लिखे जायेंगे | वो रो पड़ा, पहली बार मैंने जॉनी को रोते हुए देखा था | सजा सुनते वक़्त मुजरिम पूरी तरह से खामोश रहता है, जैसे न्याय को, या अपनी नियति को मुंह चिढ़ा रहे हों | अब शायद उसे उसकी सजा की गंभीरता का अहसास हो गया था | उन बहती आँखों में दुःख था, पश्चाताप था, और थी हताशा | हताशा कि वो कभी एल को नहीं बता पायेगा कि वो निर्दोष था | अँधेरा हो गया था, थोड़ी ही देर में जोंनी को लेकर वो लोग चले जायेंगे | काश, एल  एक बार तुम्हें हकीकत का पता चल जाता | उसके शब्द भावनाओं के घेरे को नहीं तोड़ पा रहे थे | उससे अपने पैरों पर खड़ा नहीं रहा गया | वो घुटनों पर गिर पड़ा | "मैं तुमसे प्यार करता हूँ, एल!" वो बदहवास सा चिल्लाया | मैं भी अपने घुटनों पर बैठ गया- "मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ, एल!"

अगली सुबह तीन बजकर पैंतालीस मिनट पर सजायाफ्ता मुजरिम भाग चुका था | इस दुनिया से ...

1975,  पुलित्ज़र प्राइज़ फॉर जनरल नॉन-फिक्शन, फ्रेंकलिन ग्रेटो, 'अ डेविल'स मोकिंग'
हिटलर के तथाकथित आर्यन जाति प्रभुत्व, विस्तारवादी विचारधारा एवं दमनकारी नीतियों का उस समय और उसके पश्चात यूरोपीय समाज पर पड़े प्रभाव को दिखाया है |    
1985, पुलित्ज़र प्राइज़ फॉर जनरल नॉन-फिक्शन, एन फ्रेंकलिन ग्रेटो, 'अ डेविल'स स्नीयर' 
जिसमे उन्होंने हिटलर की जिंदगी के उन पहलुओं पर रिसर्च की है कि कैसे जर्मनी पर प्रथम विश्व युद्ध के बाद लगाये गए प्रतिबंधों ने एक साधारण देशभक्त जर्मन को प्रतिशोध के इस महासमर में खड़ा कर दिया | 

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

मृत्यु को पास से निहार रहा व्यक्ति, जीवन की अतिमहत्वपूर्ण सुरंगों में जीने लगता है, जहाँ पर सच का घुप्प अँधेरा रहता है।

Er. सत्यम शिवम said...

bahut hi sundar post...
*काव्य-कल्पना*