Monday, January 31, 2011

गट्टू भाई का सांप


गट्टू भाई का सांप

कल एक दोस्त की दुकान के उद्घाटन में बहुत दिनों बाद गट्टू भाई से मुलाकात हुई.

गट्टू भाई हद दर्जे के गपोड़ी हैं. और मुझे उनका साथ अच्छा लगता है. दारू पीते हैं तो उनका तकिया कलाम "ज़रा बनइयो एक बौव्लेंडर बेटे" होता है. बताता चलूँ की जनाब बौव्लेंडर का पूरा नाम फ्लोरिस फौन बौव्लेंडर था. ये साहब हौलैंड के नामी हॉकी खिलाडी थे और उनके पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल ठोकने की उनकी विशेषज्ञता के कारण समूचा हॉकी जगत कोई डेढ़ दशक तक खौफ़ में रहा था. भारत के खिलाफ एक ओलिम्पिक मैच में उन्होंने हमारी खाल में खासा भुस भरा था. गट्टू भाई एक ज़माने में हॉकी खेलते थे ऐसा मैंने सुना है. बौव्लेंडर द्वारा भारत को ध्वस्त किये जाने के बाद से ही गट्टू भाई इस खिलाड़ी के ऐसे फैन बने कि पीते ही टल्ली बना देने वाले अचूक पैग का नामकरण उसके नाम पर कर दिया. अर्थात यानी जिस तरह पेनाल्टी कॉर्नर मिलते ही बौव्लेंडर सीधे गोल ठोक दिया करता था उसी भांति पहला पैग पीते ही आदमी को टुन्नावस्था तक पहुँच जाने का सद्प्रयास करना चाहिए.

खैर. गट्टू भाई बढ़िया टैट थे. और गप्प मरने के मूड में भी.

गट्टू भाई द्वारा उनके फार्म हाउस में पानी से भरे लोटे से बाघ को मार देने का किस्सा हल्द्वानी शहर के अधिकाँश लोगों को मालूम है. बातों का सिलसिला कब उनके फार्म हाउस पर पहुंच गया मुझे याद नहीं पर उस के बाद उन्होंने जो गप्प मारी वो उन्ही की ज़बानी पेश करता हूँ -

"अशोक भाई, परसों फारम पे गया था. दिन में एक संपेरा घर के भार आ के तमाशा दिखने लगा. संपेरा बीन बजा रिया  और सांप नाचा कर रये. आठ-दस डलिया में से उन्ने सांप भार लिकाल्लिये और सब के फन हिलवा-हिलवा के डांस करवाने लगा. एक सांप तो मिथुन चक्कर्बरती से भी बढ़िया डिस्को कर रया था. बड़ी मौज का समां बन्निया था जब एक नौकर ने पीछे से आके मेरे कान में कुछ कया.

संपेरा बोरी में एक डलिया छुपा के बैठा हुआ था. मैंने उस से कई की बेटे जे डलिया का सांप भी भार लिकाल तो बो बोला कि ठाकुर साब जे सांप बीमार चल्लिया आज कल. मैंने कई कि ढक्कन तो खोल ले. बिचारे को भी हवा पानी खान दे. तो साब उन्ने बड़ी मान-मनव्वल के बाद जो डलिया का ढक्कन खोला तो एक धाँसू टैप का सांप अपनी मुंडी भार कर के मुझे देखने लगा. मैंने दिमाग पे जोर डाला तो याद आया की जे सांप तो जाना-पैचाना दिक्खे. मैंने नौकर से पूछी कि बेटे जरा देख के बतइयो तो. नौकर तुरंत पैचान गया. बोला कि मालिक जे तो अपना नीम के पेड़ के नीचे रैने वाला सांप हैगा.

मैंने फिर जरा धियान से देखा तो बो सांप अशोक भाई बो ई था. मैंने थामी ससुरे संपेरे कि गर्दन और पिछाड़ी पे दी दो लात कि साले हमारे फारम का सांप हमें ई दिखा रिया. अपने फारम के एक-एक सांप को जाना करूं मैं. कितना दुबला बना दिया तैने इसे साले. जा दूकान से दूध की थैली ले के आ एक. और खबरदार जो हमारे फारम के एक भी सांप पे आगे से निगाह डाली तो ... और हाँ दूध पिला के इस बच्चे को व्हंई छोड़ के आईयो फ़ौरन से जल्दी ..."

... इस के आगे का किस्सा आप अपने आप गढ़ सकते हैं क्यूंकि इस के बाद कि डिटेल्स मुझे याद नहीं रही. ऐसी बौव्लेंडर गप्प सुन चुकने के बाद होश में रह पाना नामुमकिन होता है.

पुनश्च: गट्टू भाई चरस के नियमित सेवन पर बहुत जोर देते हैं. अगर कभी कोई बढ़िया क्वालिटी का माल उन तक पहुँचता है तो मुझे फ़ोन कर के न्यौतना नहीं भूलते कि "अशोक भाई सांप के बांये कान के नीचे का बौफ्फाइन माल आया है. स्याम को आ जाओ अड्डे पे."


18 comments:

iqbal abhimanyu said...

आपके किस्से लाजवाब होते हैं..:)

Unknown said...

जे हुई न लल्लनटाप कैरीकाट, चोला मगन पोस्ट।

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

हा हा हा! आपकी भाषा तो गट्टू भाई की गप्पों से भी ज्य़ादा ज़बरदस्त है! जीवन को करीब से देखे-भुगते बिना इस तरह की ज़ोरदार भाषा अर्जित नहीं की जा सकती.

DHARMENDRA LAKHWANI said...

Hamesha ki tarah zabardast !

अजेय said...

मस्त भाषा ! अशोक भाई जे काँ की भाषा है? इस बोलने वाले इसे 8वीं अंसूची मे क्यों नीं डालना चाते?

नीरज गोस्वामी said...

गट्टू भाई के लच्छे दार किस्से और बयां करने वाली अनूठी जबान के तो हम कायल हो गए हैं मियां...हंसी रुक ही न री...
नीरज

girish melkani said...

ye to palli bhai ki gap lag rahi hai aur vo to bilkul aise hi bola kare hai kasam udan challe ki .bahut phine likhe ho. girish melkani

Ashok Pande said...

अजेय भाई, ठेठ रामपुरी और बरेलवी ज़बानों के मिश्रण से बनी ये भाषा हल्द्वानी की सबसे पुरानी बसासत रामलीला मोहल्ले में भरपूर इस्तेमाल होती है. और इस के भीतर ऐसे ऐसे अद्वितीय मुहाविरों को इजाद किया गया है की आप का मुंह खुला का खुला रह जाए.

विनय (Viney) said...

बाई गोड की कसम! गट्टू भाई काफ़ी दूर तक फ़ेंक लेते हैं .

DHARMENDRA LAKHWANI said...

Ashok bhai, badi meharbani agar paani ki lote se baagh maarne ki prakriya se bhi thoda avgat karvayenge.

:-)

प्रवीण पाण्डेय said...

चढ़ा के बोव्लैण्डर याद आये तो ऩशे मे भी पेनाल्टी कार्नर लग जायेगा।

दर्शन said...

लफ्फत्तू याद दिला दिया आपने अशोक जी !! कभी उसकी निद्रा में भी खलल डालिए !

VICHAAR SHOONYA said...

बाउजी ये वाली पोस्ट तो एकदम टन्न है.

Kirtish Bhatt said...

:D Majedar namoona hai ye Gattoo.
Waise Darshan jee kee baat gour farmayen.

ghughutibasuti said...

गट्टू भाई का अपने नीम के पेड़ के नीचे वाले सांप के लिए स्नेह बहुत भाया.उन्हें तो पर्यावरण या प्राणी मंत्री सा कुछ बनवाया जाना चाहिए.
घुघूती बासूती

"HIMADRI" said...

zabarast, wakai Ghumane wala shot tha ye, Perfect Penalty Corner Shot………. Shoot & Goal Conversion....Laazawab.

Silicon Guru said...

Good one..

Silicon Guru said...

Good one..