Sunday, March 20, 2011

बरजोरी , होली और रंग - गुलाल

इस ठिकाने पर आने वाले सभी प्रेमियों को चुटकी भर गुलाल!
होली मुबारक ! 
हैप्पी होली! 
शुभ होली!
आइए सुनते हैं पं. छन्नूलाल मिश्र के दिव्य स्वर में यह होली गीत !




5 comments:

मनोज पटेल said...

बरजोरी करो न मोसे होली में....
तृप्त हुआ |

बाबुषा said...

"काहे करत मोसे बरजोरी !

बार बार बरजो नाहि माने,

जाओ जाओ अब छेड़ो न

हंसत मो पे सब ब्रिज की नारी !

काहे करत बरजोरी !"

अद्वितीय !

शुभ होली !

प्रवीण पाण्डेय said...

होली का रंग दुगना हो गया यह सुनकर।

Rahul Singh said...

वाह, लाजवाब होली.

rajneesh said...

maja aa gaya sahab holi ke rango me our khsshiya jod di is geet ne.........