Wednesday, April 27, 2011

मैं जानती हूं क्यों गाती है पिंजरे में बन्द चिड़िया


४ अप्रैल १९२८ को सेन्ट लुईस, मिसौरी में जन्मी थीं माया एन्जेलू. लेखिका, कवयित्री, इतिहासकार. गीतकार, नाटककार, नृत्यांगना, मंच व फ़िल्म निर्देशिका, अभिनेत्री और जनाधिकार कार्यकत्री हैं. उन्हें सबसे ज़्यादा ख्याति अपनी आत्मकथात्मक पुस्तकों "ऑल गॉड्स चिल्ड्रन नीड शूज़", "द हार्ट ऑफ़ अ वूमन", "सिन्गिंग एंड स्विंगिंग एंड गैटिंग मैरी लाइक क्रिसमस", "गैदर टुगैदर इन माई नेम" और "आई नो व्हाई द केज्ड बर्ड सिंग्स" सि मिली. "आई नो व्हाई द केज्ड बर्ड सिंग्स" को राष्ट्रीय पुरुस्कार के लिए नामांकित किया गया. उनके कई काव्य संग्रह भी हैं जिनमें से एक को पुलित्ज़र पुरुस्कार के लिए नामित किया गया था.

१९५९ में डॉ. मार्टिन लूथर किंग के आग्रह पर उन्होंने सदर्न क्रिस्चियन लीडरशिप कॉन्फ़्रेन्स का उत्तरी निदेशक बनना स्वीकार किया. १९६१ से १९६२ तक वे मिश्र के काहिरा में द अरब ऑब्ज़र्वर की सह सम्पादिका बनीं, जो उस समय समूचे मध्य पूर्व में इकलौता अंग्रेज़ी साप्ताहिक था. १९६४ से १९६६ तक वे अकरा, घाना में अफ़्रीकन रिव्यू की फ़ीचर सम्पादिका रहीं. १९७४ में वे वापस अमेरिका लौटीं जहां जेरार्ड फ़ोर्ड ने उन्हें द्विशताब्दी कमीशन में नामित किया और उसके बाद जिमी कार्टर ने उन्हें कमीशन फ़ॉर इन्टरनेशनल वूमन ऑफ़ द ईयर में जोड़ा. विन्स्टन सालेम विश्वविद्यालय, नॉर्थ कैरोलाइना में उन्होंने प्रोफ़ेसर ऑफ़ अमेरिकन स्टडीज़ का आजीवन पद सम्हाला.

हॉलीवुड की पहली अश्वेत महिला प्रोड्यूसर होने के नाते एन्जेलू ने खासा नाम कमाया है. लेकिन वर्तमान संसार उन्हें उनके प्रतिबद्ध काव्यकर्म के लिए जानता है और सलाम करता है.

आज पढ़िये उनकी एक कविता. बाकी कल से लगातार.


मैं जानती हूं क्यों गाती है पिंजरे में बन्द चिड़िया

एक आज़ाद चिड़िया फुदकती है
हवा की पीठ पर और तैरती जाती है धारा के साथ
जब तक कि धारा ख़त्म नहीं हो जाती. तब वह डुबोती है अपने पंखों को
सूरज की नारंगी किरणों में
और आसमान को अपना बताने की हिम्मत करती है.

लेकिन एक चिड़िया जो अकड़ती हुई चलती है अपने संकरे पिंजरे में
बमुश्किल देख पाती है गुस्से की सलाखों के पार
उसके पंख छांट दिए गए हैं और पांव बंधे हैं
सो वह गाने के लिए खोलती है अपना गला.

पिंजरे में बन्द चिड़िया गाती है एक भयावह थरथराहट के साथ
उन चीज़ों के बारे में जो अजानी हैं लेकिन अब भी जिनकी लालसा की जा सकती है
और उसकी लय सुनाई देती है सुदूर पहाड़ी में क्योंकि
पिंजरे में बन्द चिड़िया गाती है आज़ादी का गीत.

आज़ाद चिड़िया सोचती है एक दूसरी बयार के बारे में
और मुलायम रिवायती हवा
बहती है उसांसे भरते पेड़ों से होकर
और एक चमकीली भोर में घासदार मैदान पर
इन्तज़ार करता है मुटाया कीड़ा और दावा करता है कि आसमान उसका है

लेकिन पिंजरे में बन्द चिड़िया खड़ी रहती है स्वप्नों की कब्रगाह पर
उसकी परछाईं चीखती है एक दुःस्वप्न में
उसके पंख छांट दिए गए हैं और पांव बंधे हैं
सो वह गाने के लिए खोलती है अपना गला.

पिंजरे में बन्द चिड़िया गाती है एक भयावह थरथराहट के साथ
उन चीज़ों के बारे में जो अजानी हैं लेकिन अब भी जिनकी लालसा की जा सकती है
और उसकी लय सुनाई देती है सुदूर पहाड़ी में क्योंकि
पिंजरे में बन्द चिड़िया गाती है आज़ादी का गीत.

2 comments:

बाबुषा said...

The caged bird sings
with a fearful trill
of things unknown
but longed for still
and his tune is heard
on the distant hill
for the caged bird
sings of freedom !

I juz love it ! :-)

वाणी गीत said...

पिंजड़े में बंद चिड़िया क्यूँ गाती है ...
इसे पढना , गुनना बहुत अच्छा लगा ...
आभार !