Wednesday, May 4, 2011

जैसे चॉकलेट के लिए पानी -१३

(पिछली किस्त से जारी)



पाकशास्त्रियों की उस श्रॄंखला की तीता अन्तिम कड़ी थी जिसमें पाककला के रहस्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी, लम्बे समय से बताए जाया करते थे और तीता को पाककला की इस शानदार परम्परा में एक श्रेष्ठ स्थान प्राप्त था. रैन्च की मान्यता प्राप्त पाकशास्त्री का दर्ज़ा तीता को दिए जाने का फ़ैसला काफ़ी लोकप्रिय रहा. नाचा को खो चुकने के दुःख के बावजूद तीता इस बार पर प्रसन्न हुई.

नाचा की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु ने तीता को भीतर तक दुखी किया. अब वह बिल्कुल अकेली हो गई थी. उसे लगा था जैसे उसकी वास्तविक मां मर गई हो.उसके दुःक्ग भुलाने की मदद करने के लिए पेद्रो ने रसोई-सम्राज्ञी बनने के एक साल पूरा होने की ख़ुशी में तीता को ग़ुलाबों का एक दस्ता देने का चिचार किया थी. लेकिन रोसौरा - जो जल्द ही पहले बच्चे की मां बनने वाली थी - इस बात पर राज़ी नईं हुई और जब उसने पेद्रो को ग़ुलाबों का दस्ता लेकर भीतर घुसते देखा, जो उसके बजाए तीता के लिए था, वह फूट-फूट कर रोने लगी और कमरे से बाहर निकल गई.

मामा एलेना की एक निगाह पड़ते ही तीता ग़ुलाबों को फेंकने चली गई. लेकिन देर हो चुकॊ थीऔर पेद्रो कोअपनी बेवकूफ़ी का अहसास हुआ. मामा एलेना की एक और निगाह ने पेद्रो को जताया कि वह अब भी बहुत कुछ कर सकता है. वह ऐसी निगाह थी कि पेद्रो कमरे से बाहर रोसौरा को देखने चला गया. तीता ने ग़ुलाबों को अपनी छाती से इद कदर भींच रखा था को ग़ुलाबों का गुलाबी रंग, उसके रसोई में पहुंचने से पहले लाल हो चुका था. उसके हाथों और छातियों से रिसते खून ने उन्हें रंग दिया था. उसे ग़ुलाबों के बारे में जल्दी कुछ सोचना था. वे इतने सुन्दर थे कि उन्हें ऐसे ही कूड़े में नहीं फेंका जा सकता था - एक तो यह कि उसे पहली बार किसी ने फूल दिए थे और दूसरे यह कि वे फूल पेद्रो ने दिए थे अचानक उसे लगा कि नाचा उसे कोई बेहद प्राचीन व्यंजन बनाने की विधि बतला रही है जिसमें गुलाब की पंखुड़ियों का प्रयोग किया जाता है. तीता इस व्यंजन को तकरीबन भूल चुकी थी क्योंकि इसके लिए तीतरों की ज़रूरत होती थी जिन्हें रैन्च में नहीं पाला जाता था.

रैन्च में बटेरें उपलब्ध थीं सो तीता ने व्यंजन में कुछ संशोधन करने का फ़ैसला किया ताकि ग़ुलाबों का इस्तेमाल किया जा सके. दोबारा सोचे बग़ैर तीता बाहर गई और उसने एक-एक कर छः बटेरें पकड़ीं और रसॊई में जाकर उन्हें मारने की तैयारी शुरू की. उन्हें मारना थोड़ा मुश्किल होता क्योंकि उन्हें काफ़ी अर्से से पाला पोसा गया था.

एक गहरी साम्स लेकर तीता ने पहली बटेर पकड़कर उसकी गरदन मरोड़ी जैसे उसने नाचा को करते हुए देखा था लेकिन बटेर को मारने के लिए उसने पर्याप्त ताकत नहीं लगाई और बेचारी चिड़िया एक तरफ़ को गोरी हुई अपनी गरदन के साथ रसोई में दयनीय तरीके से इध्र-उधर भागने लगी. तीता को अहसास हुआ कि किसी को मारते वक्त आप कमज़ोर नहीं हो सकते. इसके लिए मज़बूत होना होगा वरना आपको अधिक दुःख होगा. उसे लगा कि इस वक्त वह अपनी मां की ताकत का इस्तेमाल कर सकती है. मामा एलेन बिल्कुल निर्दयी थीं - वे एक बार में मार दिया करती थीं. लेकिन हर बार नहीं. तीता को उन्होंने अपवाद बनाए रखा था. बचपन से ही वे उसे थोड़ा-थोड़ा करके मार रही थीं और उनका काम अभी समाप्त नहीं हुआ था.पेद्रो और रोसौरा की शादी ने तीता के दिल और दिमाग को तोड़ डाला था.. वह उसी घायल बटेर जैसी हो गई थी. बटेर को और दर्द न होने देने के लिए तीता ने निर्णायक कदमों से उसे उठाकर उसकी गरदन ठीक से मरोड़ दी.उसके बाद बाकी बटेरों को मारना असान रहा. तीता ने ऐसा सोच लिया कि हर बटेर के गले में एक अधउबला अण्डा अटका हुआ है और उन्हें मारकर वह उन्हें उनकी पीड़ा से मुक्त कर रही है. जब वह बच्ची थी अधउबला अण्डा खाने के बजाए वह मरना पसन्द करती. मामा एलेना उसे ज़बरदस्ती अधउबले अण्डे खिलाया करती थीं. उसेलगता जैसे उसके गले में गांठ पड़ गई हो. वह और कुछ नहीं खा पाती थी पर तब मामा एलेना उसकी पीठ पर एक चमत्कारिक धौल मारा करतीं जिस से अण्डा बिना कष्ट के फिसलता नीचे चला जाता. अब वह ज़्यादा शान्त थी और बाक़ी का काम करने में उसे कोई मुश्किल नहीं हुई.

वह सारा काम ऐसी कुशलता से कर रही थी मानो नाचा उसके शरीर में प्रविष्ट हो गई हो, बटेरों को छील-साफ़ कर रही हो.

बटेरों को साफ़ करने और उनकी ड्रेसिंग कर चुकने के बाद उनके पैरों को एक साथ लाकर बांध दिया जाता है ताहि मक्खन में भुन चुकने और नमक -कालीमिर्च छिड़क दिए जाने के बाद परोसे जाते समय वे अच्छी दिखें.

बटेर को साफ़ करते वक्त सूखे रहने देना चाहिएक्योंकि उबले पानी में डाल देने से उनका स्वाद खराब हो जाता है. ऐसे रहस्य अभ्यास से ही साधे जा सकते हैं. एक बार अपनी उंगलियां जला लेने के बाद रोसौरा कुछ भी नहीं जानती थी और उसे ऐसे रहस्य पता नहीं थे. चाहे पेद्रो को प्रभावित करने को या तीता से मुकाबला करने को पता नहीं एक दिन रोसौरा ने खाना पकाने का फ़ैसला किया. जब तीता ने उसे कुछ सलाहें देना शुरू कीं तो वह चिढ़ गई और उसने तीता से रसोई छोड़कर जाने को कहा.

चावल कच्चे बने थे, मांस सूख गया था और स्वीट डिश जल गई थी. लेकिन मेज़ पर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि खाने के बारे में एक भी शब्द बोल दे.खास तौर पर मामा एलेना के ऐसा कहने पर कि -

"रोसौरा ने पहली बार खाना बनाया है और उतना बुरा नहीं बना है. क्या कहते हो पेद्रो?"

भरसक अपनी पत्नी को अपमानित न करने की कोशिश करते हुए पेद्रो बोला -

"नही नहीं पहली बार के लिए बुरा नहीं है"

और जैसा कि होना ही था उस दोपहर सारे परिवार का पेट गड़बड़ाया रहा.

वह एक त्रासदी थी लेकिन इस बार जो हुआ रैन्च पर पहले कभी नहीं हुआ था. तीता के खून और पेद्रो के ग़ुलाबों का मिश्रण बेहद विस्फोटक साबित हुआ.

खाने की मेज़ पर बैठने और बटेरों के परोसे जाने तक हर कोई तनाव में था. जैसे पेद्रो अपनी पत्नी को पहले ही पर्याप्त ईर्ष्या से न भर चुका हो, पहला कौर खाकर आनन्द में अपनी आंखें बन्द कर बोला -

"यह खाना तो देवताओं के मतलब का है."

मामा एलेना जानती थीं बटेर बहुत शानदार बनी हैं पर पेद्रो की टिप्पणी उन्हें ज़्यादा नहीं भाई. उन्होंने कहा -

"नमक बहुत ज़्यादा है."

रोसौरा ने कहा कि उसे कुछ अजीब सा लग रहा है और उसने कुल तीन ही टुकड़े खाए, लेकिन गरत्रूदिस को कुछ विचित्र-सा हो रहा था.

(जारी)

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