Wednesday, May 4, 2011

माया एन्जेलू कॊ दो कविताएं


जब तुम आते हो

जब तुम आते हो बिन बुलाए
पास बुलाते हुए मुझे
सुदूर कमरों में
जहां स्मृतियां निवास करती हैं

पेश करते हुए मुझे एक दुछत्ती, जैसे मैं कोई बच्ची होऊं
बहुत कम दिनों की बटोरी हुई चीज़ें
चुराए गए चुम्बनों के खिलौने
उधार के प्रेमों के सस्ते आभूषण
गुप्त शब्दों के सन्दूक.

मैं रोया करती हूं.


समय का बीतना

भोर जैसी तुम्हारी त्वचा
मेरी जैसे कस्तूरी

एक रंगना शुरू करता है
एक सुनिश्चित अन्त की शुरुआत

दूसरा शुरू करता है
एक सुनिश्चित शुरुआत का अन्त.

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

दोनों ही रचना बेहतरीन।