Wednesday, July 6, 2011

बीबी हव्वा गाए बधावा, मरियम्मा दे नेग


क़व्वाल बच्चा घराने से ताल्लुक रखने वाले बड़े गायक उस्ताद नसरुद्दीन सामी साहब का एक छोटा सा वीडियो लंका चल्यो राम मैंने काफ़ी समय पहले कबाड़ख़ानेमें लगाया था. आज यूं ही ज़फर हुसैन बंदायूनी की गाई क़व्वाली "बारो घी के दीये" सुनता हुआ नैट खंगाल रहा था कि पता लगा उस्ताद सामी साहब के सुपुत्र रऊफ़ सामी ने अपने भाईयों के साथ बाक़ायदा सामी बिरादरान क़व्वाल नाम से अपना ग्रुप बना रखा है जिसे शोहरत मिलना फ़िलहाल बाक़ी है. उन्होंने भी इस रचना को गाया है और अच्छा गाया है. बेहद अच्छा.

मोहम्मद साहब के जन्म के अवसर गाए गए इस बधावे को जो शक्ल सामी बिरादरान ने बख़्शी है, आप लम्बे समय तक भूल न सकेंगे.

Baro Ghi Ke Diye by Saami Qawwals from Tasawwuf on Vimeo.


नामवर फ़नकार बहाउद्दीन कुतुबुद्दीन क़व्वाल भी इस ठेठ पूरबी शैली की क़व्वाली को गा चुके हैं. कभी मौका लगा तो सुनवाऊंगा.

3 comments:

पारुल "पुखराज" said...

हवा भी हो गई शामिल दिये जलाने में …

जितनी भी आवाज़ों में सुना जाये कम है …सोहर हों,बधाईयाँ हों… इनका अपना सुरूर …

abcd said...

bhaai saab,
ye vdo dekh sunane ke liye vimeo pe sign in karna padega kya ya fir aur kuch??sirf kali screen aa rahee hai kal se ..please help

Ashok Pande said...

जनाब-ए-आला, मेरे कम्प्यूटर में तो यह अच्छे से चल जा रहा है, बिना किसी तरह का रजिस्ट्रेशन कराए. आप एक बार प्ल्य का बटन दबा कर तुरन्त पॉज़ कर दें और बफ़रिंग पूरी होने दें. यानी ज़रा सा धीरज. वर्ना अपना कनेक्शन चैक कराएं - स्पीड धीमी होने पर भी ऐसा अक्सर होता है. शुभकामनाएं.