Friday, July 8, 2011

मुझे भयंकर ज़ुकाम हो गया है

मुझे भयंकर ज़ुकाम हो गया है


फर्नान्दो पेसोआ

मुझे भयंकर ज़ुकाम हो गया है
सभी जानते हैं कैसे उलट पुलट जाता है
समूचे ब्रह्मांड का कारोबार भयंकर जुकाम से --
आप जीवन से जूझते हैं
और बड़े बड़े दार्शनिकों को भी छीकें आती हैं
मैं ने नाक पोंछते बिताया है आज का सारा दिन
मेरे सर में अजीब-सा-दर्द है
छोटे-मोटे कवि की यह खराब दशा है न ?
आज मैं सचमुच ही एक छोटा - मोटा कवि हूँ

अलविदा परियों की मल्लिका !
तुम्हारे पंख सूरज के बने हुए थे और
मैं यहाँ पैदल चलता हुआ
जब तक मैं बिस्तर पर ना जा गिरुं मैं ठीक नहीं होऊंगा
ठीक तो मैं कभी था भी नहीं
सिवाय जब-जब उल्टा पसरा रहा ब्रह्माण्ड पर
माफ़ करना...क्या भयंकर जुकाम है ! दरअसल यह जिस्मानी है
मुझे ज़रूरत है सच की और एस्प्रिन की।

(फ़ोटो: शतरंज की बिसात पर एलिस्टर क्राउले और हैट पहने फर्नान्दो पेसोआ)

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है, सभी दृश्य थके थके से, पलटे पलटे से हो जाते हैं।