हबीब वली मोहम्मद साहब के बिना उर्दू ग़ज़ल गायकी का इतिहास नहीं लिखा जा सकता. उनकी गाई एकाधिक ग़ज़लें कबाड़ख़ाने पर जब-तब सुनाई जा चुकी हैं. आज उन्हीं को सुनिए एक बिल्कुल मुख़्तलिफ़ अन्दाज़ में -
डाउनलोड लिंक -
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हबीब साहब की कुछ ग़ज़लों के लिंक ये रहे -
तुम आये हो न शब-ए-इन्तेज़ार गुज़री है
वो गाये तो आफ़त लाये है सुर ताल में लेवे जान निकाल
वो बात सारे फ़साने में जिसका ज़िक्र न था, वो बात उन को बहुत नागवार गुज़री है
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