Friday, August 26, 2011

तितलियों का रंग वहीं बनता है






बाबुषा कोहली


चौथा आदमी

वहाँ चार आदमी थे;
पहला- शब्दों से भरा हुआ था
उसके मुँह से ही नहीं,
नाक, कान और आँखों से भी शब्द टपकते थे !
शब्दों के ढेर पर खड़ा
उसे गीता कण्ठस्थ थी ;
परंतु उसे कृष्ण का पता न था !

दूसरा- अर्थों से भरा हुआ था !
वह हर समय परिभाषाएं गढ़ता
मौसम –खगोल- रहस्य- आकाश –पाताल -
भूगोल – राजनीति- कला –प्रेम की व्याख्या करता
अर्थों को खोजती उसकी नज़रें
मेरे उभारों और गोलाईयों की विवेचना करती थीं !

तीसरा- मौन से भरा हुआ था
उस के माथे पर चन्दन चमकता
उस के मौन के चारों ओर अपार भीड़ थी
उसे पूजा जाता था
उसका तना हुआ चेहरा देख लगता था
उस ने अपनी ज़ुबान का गला दबा रखा हो
उस की ज़ुबान को छोड़ कर
बाक़ी सब कुछ बोलता था
उस के मौन मे बहुत शोर था !

चौथा आदमी – वह
खालीपन से भरा हुआ था !
घुटनो के बल बैठा आकाश को निहारता
उसकी खाली आँखें भरी हुई थीं
खींचती थीं जैसे
ल्यूनेटिक्स को खींचता है चाँद
और मैं खिंच गई थी !
उसके खालीपन में मैंने छलाँग लगा दी !
हम एक के भीतर एक थे , पर दो थे !

हमारी सटी हुई त्वचाएं जल्द ही
ऐसी महीन रेशमी चादर मे बदल गई
कि हवाएं उस के आर पार जाती थीं !

बौछारें वहाँ मुकाम बना टिक जातीं थीं
हम दोनों की सटी हुई त्वचाओं के बीच भी
हमने खाली ही छोड़ी थी वह खाली जगह

अब- उस खाली जगह में
गिलहरियाँ फुदकती हैं , पपीहे गीत गाते हैं ;
तितलियों का रंग वहीं बनता है
चाँद की कलाएं बदलने के बाद
वहीं आ कर रहतीं हैं
वहीं बहती रहती है शराब
झरने वहीं से फूटते हैं और एक दरवेश ;
एक हाथ से आकाश थामे ;
दूसरे से धरती सम्भाले –
अपनी ही धुरी पर
घूमता रहता है गोल गोल !

( स्केच - ईशिता आर गिरीश )

6 comments:

सुनीता said...

मौन का शोर ...शब्दों का भी शोर और फिर धरती का गोल गोल घूमना ....धन्यवाद सुन्दर कविता के लिए और इशिता जी की कहानियां तो पढ़ी थी आज स्केच भी देख लिया ...पुनः धन्यवाद :-)

प्रवीण पाण्डेय said...

बाबुषाजी के ब्लॉग में यह कविता पढ़ी थी, बहुत ही दमदार अभिव्यक्ति।

sanjay vyas said...

मैंने ये कविता कुछ अरसा पहले मुद्रित रूप में पढ़ी थी, आज पुनः यहाँ देखना-पढ़ना अच्छा लगा.प्रेम की इसी निर्विचार छलांग को स्वीकृति.

love verma said...

mon marghat ki tarah nahi upvan ki tarah hona chahiye_by osho

love verma said...

babuha aap ki yah kavita "rasrang"mai post hui thi, us vakt mene yah kvita apni dairy me utari thi ...thx for this

Jyoti Joshi Mitter said...

very niiiice! at times I wonder how people can write so good. This is what they call god gifted!