Sunday, January 29, 2012

समदरसी है नाम तिहारो, चाहो तो पार करो


मुकुल शिवपुत्र से सुनिए सूरदास जी का भजन - हरि मोरे अवगुन चित न धरो -

6 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

अहा..

Ek ziddi dhun said...

शानदार अशोक भाई

Riya Sharma said...

bahut hee anand dayak ...shukriya ashok ji for sharing

शोभा said...

आदरणीय कुमार गन्धर्व के पुत्र

sanjay patel said...

पं.मुकुल शिवपुत्र गाते हैं तो समय ठहर जाता है. कुमार गंधर्व की छाप वाली गायकी को मुकुलजी के स्वर में सुनना यानी एक रुहानी लोक की यात्रा करना है....कितनी शुध्दता,कैसी तबियत,कैसी विलक्षण गायकी....

Anupama Tripathi said...

वाह बहुत सुंदर .....संग्रहणीय ....आभार ।