Wednesday, February 1, 2012
दरसन बिनु नैना तरसे - पंडित छन्नूलाल मिश्र
पंडिज्जी की लरज़भरी आवाज़ में सुनिए एक कम्पोजीशन -
2 comments:
नीरज गोस्वामी
said...
इस आवाज़ का तो मैं दीवाना हूँ...अद्भुत
नीरज
February 1, 2012 at 6:38 PM
प्रवीण पाण्डेय
said...
अहा..
February 2, 2012 at 8:15 PM
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इस आवाज़ का तो मैं दीवाना हूँ...अद्भुत
नीरज
अहा..
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