"पुश्तों का बयान" राजेश सकलानी का नया कविता संग्रह है. किताब के ब्लर्ब पर असद ज़ैदी लिखते हैं - "अपनी तरह का होना ऐसी नेमत (या की बला) है जो हर कवि को मयस्सर नहीं होती, या मुआफ़िक़ नहीं आती. राजेश हर ऐतबार से अपनी तरह के कवि हैं. वह जब जैसा जी में आता है वैसी कविता लिखने के लिए पाबन्द हैं, और यही चीज़ उनकी कविताओं में अनोखी लेकिन अनुशासित अराजकता पैदा करती है."
इस संग्रह से आज एक कविता -
पप्पू जी का इतिहास ज्ञान
सरदार पटेल अगर प्रधानमंत्री बन गए होते
देश का नक्शा कुछ और होता
गांधी और नेहरु ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा
महमूद गजनवी और औरंगजेब
मध्यकाल से दो नाम उन्हें बिद्काते हैं
बहुत से अनुमान उनके वैदिक काल के बारे में हैं
सारा ज्ञान अँग्रेज़ चोर कर ले गए
कुछ भी नहीं बचा पप्पू जी के पास!
2 comments:
सारा धन चुरा ले गये, सारा इतिहास दूषित कर गये।
मेरे आस पास ऐसे कई पप्पू हैं साहब , बिडम्बना यह है कि वह भी दूसरों को ऐसा ही पप्पू कहते हैं , शायद मैं भी वही हूँ | गोल चक्कर हो गया है |
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