मौसमों पर आधारित चार कम्पोज़ीशन्स का निर्माण १७१७-१७२० के दौरान विवाल्दी द्वारा मानतूआ में बिताए दोएक सालों की वजह से सम्भव हो पाया था. मानतूआ में राजकुमार फ़िलिप ने विवाल्दी को बतौर संगीत निर्देशक अपने दरबार में काम करने को बुलावा भेजा था.
मानतूआ के आसपास का ग्राम्य जीवन विवाल्दी की इन कालजयी रचनाओं की प्रेरणा बना. बहती धाराएं, अलग-अलग तरह से गाती चिड़ियां, भौंकते कुत्ते, भिनभिनाते मच्छर, रोते हुए चरवाहे, धुत्त नाचनेवाले, शिकार-पार्टियां, बर्फ़ में जमे लैंडस्केप, आइस-स्केटिंग करते बच्चे और अलाव - ये सब विवाल्दी के लिए संगीत के अजस्र स्रोत थे. इन चारों कॉन्चियेर्तोज़ के मूल में छिपी प्राकृतिक-दृश्यावली को समझाने के उद्देश्य से उन्होंने बाक़ायदा कविताएं भी लिखीं.
आज पेश है गर्मियों पर आधारित रचना -
बहुत मुश्किल मौसम है, सूरज का तपाया हुआ
एक आदमी काम से थक कर चूर, भेड़ें त्रस्त और जलते हैं चीड़
हमें सुनाई देती है कोयल; फिर बाक़ी चिड़ियों का कलरव.
मुलायम झोंका हल्के से हिलाता है हवा को ... लेकिन डराती हुई उत्तरी हवा अचानक उन्हें उड़ा ले जाती है.
कांपता है चरवाहा, डरता हुआ कि उसके भाग्य में बस चिंघाड़ते तूफ़ान ही हैं.
बिजली और तूफ़ान का खौफ़
छीन लेता है उसके थके तन का सुकून
और पतंगे-मक्खियों की भिनभिन चालू.
आह! उसका डर सही था
आसमानी बिजलियां और तूफ़ान का भीषण शोर
गेहूं की बालियों को बरबाद कर देता है
मानतूआ के आसपास का ग्राम्य जीवन विवाल्दी की इन कालजयी रचनाओं की प्रेरणा बना. बहती धाराएं, अलग-अलग तरह से गाती चिड़ियां, भौंकते कुत्ते, भिनभिनाते मच्छर, रोते हुए चरवाहे, धुत्त नाचनेवाले, शिकार-पार्टियां, बर्फ़ में जमे लैंडस्केप, आइस-स्केटिंग करते बच्चे और अलाव - ये सब विवाल्दी के लिए संगीत के अजस्र स्रोत थे. इन चारों कॉन्चियेर्तोज़ के मूल में छिपी प्राकृतिक-दृश्यावली को समझाने के उद्देश्य से उन्होंने बाक़ायदा कविताएं भी लिखीं.
आज पेश है गर्मियों पर आधारित रचना -
बहुत मुश्किल मौसम है, सूरज का तपाया हुआ
एक आदमी काम से थक कर चूर, भेड़ें त्रस्त और जलते हैं चीड़
हमें सुनाई देती है कोयल; फिर बाक़ी चिड़ियों का कलरव.
मुलायम झोंका हल्के से हिलाता है हवा को ... लेकिन डराती हुई उत्तरी हवा अचानक उन्हें उड़ा ले जाती है.
कांपता है चरवाहा, डरता हुआ कि उसके भाग्य में बस चिंघाड़ते तूफ़ान ही हैं.
बिजली और तूफ़ान का खौफ़
छीन लेता है उसके थके तन का सुकून
और पतंगे-मक्खियों की भिनभिन चालू.
आह! उसका डर सही था
आसमानी बिजलियां और तूफ़ान का भीषण शोर
गेहूं की बालियों को बरबाद कर देता है
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