सूर्यास्त
- आलोक धन्वा
बहुत देर तक सूर्यास्त
लंबी गोधूलि
देर शाम होने तक गोधूलि
एक प्राचीन देश का सुदूर
झुकता हुआ
प्रशांत अंतरिक्ष
मैं बहुत करीब तक जाता हूं
एक महाजाति की स्मृति
मैं बार-बार वापस आऊंगा
दुनिया में मेरे काम
अधूरे पड़े हैं
जैसा कि समय है
कितनी तरह से हमें
निस्संग किया जा रहा है
बहुत बड़ा लाल सूरज
कितना धीरे-धीरे डूबता
विशाल पक्षियों के दुर्लभ
नीड़ उस ओर!
- आलोक धन्वा
बहुत देर तक सूर्यास्त
लंबी गोधूलि
देर शाम होने तक गोधूलि
एक प्राचीन देश का सुदूर
झुकता हुआ
प्रशांत अंतरिक्ष
मैं बहुत करीब तक जाता हूं
एक महाजाति की स्मृति
मैं बार-बार वापस आऊंगा
दुनिया में मेरे काम
अधूरे पड़े हैं
जैसा कि समय है
कितनी तरह से हमें
निस्संग किया जा रहा है
बहुत बड़ा लाल सूरज
कितना धीरे-धीरे डूबता
विशाल पक्षियों के दुर्लभ
नीड़ उस ओर!
1 comment:
सूरज नहीं डूबता, हम डूबते-उतारते हैं...
वैज्ञानिक दृष्टि से गैलीलियो ने सदियों पहले पहली बार कहने की जुर्रत की थी...
शाश्वत सत्य यही है...
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