मेरे पास मेहदी हसन साहब का एक तीन सीडी वाला सैट है. विशुद्ध शास्त्रीय शैली में गाई उस्ताद की ग़ज़लों की इस पूरी श्रृंखला के नगीने मैं, जब-तब एक-एक कर आपकी खि़दमत में पेश करूंगा. आज आप बस उस्ताद को बोलते हुए सुनिए. महफ़िल शुरू करने से पहले वे अपने गायन का संक्षिप्त इतिहास बताते हुए ग़ज़ल-गायकी और शास्त्रीय संगीत की बारीकियों को तो बताते ही हैं, उर्दू शायरी के बड़े नामों का ज़िक्र भी बहुत अदब और मोहब्बत के साथ करते हैं.
मेहदी हसन साहब को श्रद्धांजलि के तौर पर यह बहुत ख़ास प्रस्तुति:
2 comments:
खैर,सशरीर तो अब हम मेंहदी साहब को आमने- सामने साक्षात नहीं देख पायेंगे पर पिछले 12 -15 सालों से अनकी ताज़ा ग़ज़लें हम सुन भी तो नहीं पा रहे थे | उन्हें गले से हरकत के लिये दुनिया में जाना जाता था और दर्द भी यहीं है कि गले के कैंसर से उनकी मौत हुई, आखिरी आठ- दस साल बहुत तकलीफ़ में गुज़रा है मेंहदी साहब का | लाखों प्रशंसक होने के बाद अगर दुनिया के लोग जिस आदमी की ग़ायकी के इतने दीवाने थे और वो आदमी ऐसे चला जाय …तो अफ़सोस होता है… दुनिया में मेंहदी साहब के जोड़ ग़ायक मिलना असम्भव है ! हमारा सलाम पहुँचे मेंहदी साहब को !!
बहुत बढिया! .. अगर हो सके तो इन गज़लों को यू-ट्यूब पर शेयर करें ताकी इन्हे आसानी से फ़ेवरेट्स में शामिल किया जा सके - अनजानी या कम लोकप्रिय साईट्स पर होस्ट करने से इनके खोने का डर बना रहेगा.
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