खानदानी संगीतकारों की परंपरा से सम्बन्ध रखने वाले उस्ताद लताफ़त हुसैन खान ने बतौर एक गायक और उस्ताद अपने आप को एक घरानेदार संगीतकार साबित किया. वे बहुत धार्मिक थे, आत्मगर्व से कोसों दूर और सदा तबीयत. हर किसी को कभी भी कुछ भी दे देने को तत्पर उस्ताद की ये तमाम खूबियाँ उनके संगीत में भी नज़र आती हैं.
१२ दिसंबर १९२० को जन्मे लताफत आगरा घराने के गायक अल्ताफ हुसैन खान के सबसे छोटे बेटे थे. उस्ताद तसद्दुक हुसैन खान उनके पहले गुरु बने. इसके बाद लंबे समय तक उन्होंने बंबई रहकर अपने बड़े भाई उस्ताद खादिम हुसैन से सीखा. उन्नीस सौ चालीस की दहाई में वे बड़ौदा अपने चचाजान उस्ताद फैयाज खान के यहाँ बाकायदा तालीम हासिल करने पहुंचे. अपने ही घराने के वरिष्ठ संगीतकार उस्ताद विलायत हुसैन खान से भी उन्हें शिक्षा मिली.
लताफत एक तरह से उस्ताद फैयाज खान के संगीत के उत्तराधिकारी बने. अपनी बुलंद मर्दाना आवाज़ और मज़बूत आलापों के लिए जाने जाने वाले उस्ताद लताफत आगरा घराने की मुख्यधारा से कभी विरत नहीं हुए.
संगीत के क्षेत्र में तमाम बड़े सम्मान हासिल कर चुके उस्ताद की मृत्यु ११ दिसम्बर १९८६ को हुई.
आज उनकी आवाज़ में राग मेघ -
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