मौसमचिड़िया पूरी तरह भीग चुकी है
और दरख़्त भी पत्ता पत्ता टपक रहा है
घोंसला कब का बिखर चुका है
चिड़िया फिर भी चहक रही है
अंग अंग से बोल रही है
इस मौसम में भीगते रहना
कितना अच्छा लगता है
फ़ोनमैं क्यों उसको फ़ोन करूं
उसके भी तो इल्म में होगा
कल शब
मौसम की पहली बारिश थी
1 comment:
वाह...........
बहुत सुन्दर...दोनों कवितायें
अनु
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