Friday, January 4, 2013

मेरे प्‍यारे साथी


एक और बात मनीषा पाण्डेय की वॉल से - 


मेरे प्‍यारे साथी, 

मैं जानती हूं तुम मेरे वर्ग शत्रु (Class Enemy) नहीं हो. तुम उस ऊंची जाति के भी नहीं जो सोचता है कि मैं ब्रम्‍हा के चरणों से पैदा हुई और तुम मुख से. तुम उसी व्‍यवस्‍था के गुलाम हो, जिसकी गुलाम मैं हूं. मैं कितनी भी कोशिशें कर लूं, तुम्‍हारे बगैर रह नहीं पाऊंगी. तुम्‍हें नकार भी दिया तो मेरे दुख अपार होंगे. तुम अपनी मर्दानगी को नकार नहीं पाते, लेकिन मुझे प्रेम किए बगैर भी कहां रह पाते हो. मैं भी कहां रह पाई तुम्‍हारे बिना, बावजूद इसके कि अपनी प्रेम की तमाम कामनाओं को कुचलना मुझे सदियों से सिखाया गया. मुझे बस रोना सिखाया गया और तुम्‍हें आंसू बहाने की भी मनाही थी. तुम्‍हें लगता है क्‍या कि जब मैं अपने दुखों की बात करती हूं तो तुम्‍हारे दुख नहीं समझती. तुम मुझे जितना प्रेम करते हो, उससे ज्‍यादा मैं तुम्‍हें प्रेम करती हूं. जानते हो क्‍यों? क्‍योंकि सताए गए लोग ज्‍यादा प्रेम करते हैं. मैं जानती हूं तुम सताए गए, लेकिन तुमसे ज्‍यादा मैं सताई गई.

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