Monday, June 10, 2013

अफ्रीकी लोक-कथाएँ: १० (पहला हिस्सा)


अफ्रीकी लोक-कथाएँ: १०


दो त्वचाओं वाली औरत - भाग एक 

कालाबार का राजा एयाम्बा बहुत ताकतवर था. उसने अपने पड़ोस के सभी देशों को हराकर उन पर कब्ज़ा कर लिया था. उसने वहां के सभी बूढ़े औरत-आदमियों को मरवा दिया और सारे हट्टे कट्टे आदमी-औरतों को कैद कर अपना गुलाम बना लिया जो जीवन भर उसके खेतों पर कड़ी मेहनत करने को मजबूर थे.

इस राजा की दो सौ पत्नियाँ थीं, लेकिन किसी से भी उसे बेटे का सुख नसीब नहीं हुआ था. उसके चक्रों ने जब देखा कि राजा बूढ़ा होता जा रहा है, उस से अनुरोध किया कि वह मकड़ी की बेटी से शादी कर ले क्योंकि मकड़ी हमेशा बहुत सारे बच्चों को जन्म देती थी. लेकिन जब राजा ने मकड़ी की बेटी को देखा वह उसे पसंद नहीं आई. वह बदसूरत थी. लोगों का ख़याल था कि उसकी बदसूरती की वजह यह थी कि उसकी माँ ने एक साथ इतने सारे बच्चे जने थे. खैर जो भी हो, अपनी प्रजा को खुश करने के लिए उसने उस बदसूरत लड़की से शादी कर ली और उसे अपनी बाकी रानियों के साथ रहने को कह दिया. लेकिन बाकी रानियों ने राजा से शिकायत की कि वह बहुत बदसूरत है और उनके साथ रहने के काबिल नहीं. सो राजा ने उसके लिए एक अलग घर बनवा दिया जहां और रानियों की तरह उसे भी खाना वगैरह दिया जाता था. हर कोई उसकी बदसूरती को लेकर उसका मजाक उडाया करता; लेकिन वास्तव में वह बदसूरत नहीं बल्कि खूबसूरत थी, क्योंकि वह दो त्वचाओं के साथ पैदा हुई थी और उसके पैदा होते समय उसकी माँ से यह वायदा करवाया गया था कि सिवा रात के वक्त उसकी बेटी एक निश्चित समय आने से पहले अपनी बाहरी त्वचा को नहीं उतारेगी. और यह भी कि भोर होते ही उसे अपनी बदसूरत त्वचा को फिर से पहन लेना होगा.

राजा की पटरानी को किसी तरह यह बात पता थी और उसे हरदम डर लगा रहता कि कहीं राजा इस बात को जान न ले, कि कहीं वह मकड़ी की बेटी से प्यार न कर बैठे. सो वह एक जूजू के पास गयी और उसे सोने की दो सौ छड़ों का लालच देकर ऐसा जादुई मिश्रण बनाने का नुरोध किया जिसे पीकर राजा इस बात को बिलकुल ही भूल जाए कि मकड़ी की बेटी उसकी पत्नी है. काफी मोलभाव के बाद जूजू तीन सौ पचास छड़ों के एवज में ऐसा करने को तैयार हो गया. उसके बनाए मिश्रण को पटरानी ने राजा के खाने में मिला दिया. कुछ महीनों तक ऐसा असर रहा कि राजा मकड़ी की बेटी को भूल ही गया और उसके बिलकुल नज़दीक से गुजरने पर भी उसे कुछ याद न आता. जब चार महीने बीतने को आए और राजा ने एक बार भी आदिया (यही नाम था मकड़ी की बेटी का) को याद नहीं किया तो वह थक गयी और वापस अपने माँ-बाप के घर चली गयी. उसके पिता उसे एक दूसरे जूजू के पास ले लिए जिसने कई तरह के जादू-टोनों से यह पता लगा लिया कि पटरानी ने एक दूसरे जूजू की मदद से राजा की याददाश्त पर अंकुश लगा रखा था. उसने एक “दवा” तैयार की जिसे खिलाने पर राजा को फिर से आदिया की याद आ जानी थी. इस दवा के बदले जूजू ने मोटी रकम वसूली. आदिया ने उसी दिन एक व्यंजन बनाया और उसमें दवा मिलकर राजा को प्रस्तुत किया. उसे खाते ही राजा अपनी पत्नी को पहचान गया और उसे उसी शाम मुलाक़ात करने को कहा. सो वह बहुत खुश हुई. नदी में नहाने के बाद उसने अपनी सबसे सुंदर पोशाक पहनी और राजा के महल पहुंच गयी.

जल्द ही अंधरा हो गया. जब सारी बत्तियाँ बुझ गईं आदिया ने अपनी बदसूरत त्वचा उतार दी. टब राजा ने देखा वह कितनी सुन्दर है. राजा बहुत खुश हुआ. लेकिन जब सुबह मुर्गे ने बांग दी, आदिया ने फिर से अपनी बदसूरत पोशाक पहनी और वापस अपने घर चली गयी.

ऐसा उसने चार रातों तक किया –अन्धेरा होते ही बदसूरत त्वचा को उतार देना और भोर होने पर उसे फिर पहन लेना. समय बीतता गया और लोगों को घोर आश्चर्य हुआ जब इतनी सारी पत्नियों में से मकड़ी की बेटी आदिया ने एक बेटे को जन्म दिया. इस से भी ज़्यादा आश्चर्य उन्हें इस बात पर हुआ कि सिर्फ एक ही बेटा पैदा हुआ, जबकि उसकी माँ एक बार में कम से कम पचास बच्चे जनती थी.

आदिया के बेटे के जन्म के बाद पटरानी और भी जलन से भर उठी; वह फिर से जूजू के पास गयी और उसे बहुत सारा सोना-चाँदी देकर उस से ऐसी दवा बनाने को कहा जिसे खाकर राजा बीमार पड़ जाए और अपने बेटे को भूल जाए. और यह कि उस दवा को खाकर राजा को खुद जूजू के पास आना पड़े. तब जूजू ने उसे बताना था कि उसे उसके बेटे ने बीमार बनाया था क्योंकि वह खुद राजा बनना चाहता था. जूजू ने तब राजा को सलाह देनी थी कि अच्छा होने के लिए उसने अपने बेटे को नदी में फिंकवा देना चाहिए.

तो जब राजा को दवा खिला दी गयी, वह जूजू के पास गया जिसने उसे वही सब करने को कहा जैसा पटरानी ने उसे बता रखा था. शुरू में राजा अपने बेटे को मारने से हिचका. लेकिन जब उसके चाकरों के उस से बेटे को मार देने की सलाह देते हुए हौसला दिलाया कि साल भर में उसे एक बेटा और मिल सकता है तो राजा मान गया. आदिया मिन्नतें करती रही, जार-जार रोती रही पर उसके बेटे को नदी में फेंक दिया गया.

(अगली किस्त में यह कथा समाप्त. सीरीज़ जारी रहेगी.) 

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