Saturday, June 22, 2013

छक्के छूट गए भाषा के माया ने ईश्वर को देखा


दिल्ली में इस डर को देखा

-संजय चतुर्वेदी

असली को लतियाने वाले नकली के तेवर को देखा
खुसुर पुसुर की कुव्वत देखी नैनामार गदर को देखा
गंगाजमनी लदर पदर में गोताखोर हुनर को देखा
जे एन यू की हिन्दी देखी परदेसी ने घर को देखा
मरियम जैसा भेस बनाए सखियों के लश्कर को देखा
निराधार बातों पर पैदा निराधार आदर को देखा
गयी शायरी मिले वज़ीफ़े दिल ने नई बहर को देखा
छक्के छूट गए भाषा के माया ने ईश्वर को देखा