दिल्ली में इस डर को देखा
-संजय चतुर्वेदी
असली को लतियाने वाले नकली के तेवर को
देखा
खुसुर पुसुर की कुव्वत देखी नैनामार
गदर को देखा
गंगाजमनी लदर पदर में गोताखोर हुनर
को देखा
जे एन यू की हिन्दी देखी परदेसी ने
घर को देखा
मरियम जैसा भेस बनाए सखियों के
लश्कर को देखा
निराधार बातों पर पैदा निराधार आदर को
देखा
गयी शायरी मिले वज़ीफ़े दिल ने नई बहर
को देखा
छक्के छूट गए भाषा के माया ने ईश्वर
को देखा
1 comment:
बढ़िया
Post a Comment