Friday, June 21, 2013

भाकपा (माले) द्वारा मुख्यमंत्री से आपदा के राहत-बचाव में तेजी लाने की मांग करने के लिए भेजा गया ज्ञापन


प्रति,
श्रीमान मुख्यमंत्री,
उत्तराखंड शासन,
देहरादून.
द्वारा-श्रीमान उपजिलाधिकारी,जोशीमठ,चमोली(उत्तराखंड)

महोदय,

उत्तराखंड इस समय जिस भारी प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है,उसमें फंसे तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों के बचाव एवं राहत के लिए त्वरित एवं संवेदनशील तरीके से काम करने की आवश्यकता है. राज्य सरकार,सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों द्वारा राहत एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है,परन्तु आपदा की तीव्रता एवं भीषणता को देखते हुए वह अपर्याप्त जान पड़ता है.


भाकपा(माले),आपदा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए सरकार से मांग करती है कि

1. भारी बरसात से पूरी तरह तबाह हुए गावों के लोगों को सम्मानजनक एवं गांव वापस लौटने लायक स्थितियां बनने तक गुजारे लायक धनराशि तत्काल मुहैया करवाई जाए. जोशीमठ ब्लॉक में भ्युंडार, पुलना ऐसे गांव हैं जिनको ऐसी ही सहायता की आवश्यकता है. प्रभावित ग्रामीणों के स्थायी आवासों के निर्माण के लिए भी सरकार समुचित सहायता प्रदान करे तथा स्थायी आवासों के निर्माण तक ग्रामीणों के रहने के लिए टिन शेड बना कर राज्य सरकार दे. 

2. विभिन्न स्थानों पर हज़ारों यात्री एवं स्थानीय लोग सड़कें टूटने की वजह से फंसे हुए हैं. ऐसे लोगों को निकालने के लिए हैलीकाप्टर चलाये जा रहे हैं. लेकिन यात्रियों की संख्या के अनुपात के हिसाब से हेलीकाप्टर सेवा को देखें तो वे नगण्य नजर आती हैं. किसी क्षेत्र विशेष में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए लगाए गए 2 से 6 सीट वाले 2 -3 हेलीकाप्टर, सरकार के लिए बचाओ अभियान जोरशोर से चलाये जाने का प्रचार तो बटोर सकते हैं, लेकिन इस गति से तो हज़ारों की संख्या में फंसे लोगों को निकालने में महीनों लग जायेंगे. इसलिए हमारी यह मांग है कि राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हेलीकाप्टरों की संख्या बढ़ाई जाए और बढ़ी हुई संख्या, अधिक सीटों वाले हेलीकाप्टरों की हो.

3. अधिकाँश क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में सड़कें और पुल बह गए हैं. सड़कें और पुल जो कई क्षेत्रों की जीवन रेखा हैं,उनके निर्माण का अभियान युद्धस्तर पर चलाया जाए.

4. प्रदेश में विस्थापन की श्रेणी में पहले से रखे गए आपदा प्रभावित लगभग 300 गावों का यथाशीघ्र विस्थापन किया जाए.

5. प्रदेश के ऊँचे बुग्यालों में कीड़ा जड़ी के दोहन के लिए भारी संख्या में लोग गए हैं. इन लोगों में से कुछ के मरने की खबरें भी आ रही है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कीड़ा जड़ी दोहन के दौरान विपरीत मौसम में फंसे लोगों को निकालने का भी तत्काल इंतजाम किया जाए और मृतकों के आश्रितों तथा घायलों को समुचित मुआवजा दिया जाए.

6. इस आपदा के चलते जिन लोगों की जीविका के सब साधन तबाह हो गए हैं, उनके व्यवसाय को पुनः स्थापित करने में लगने वाली संपूर्ण धनराशि सरकार मुहैया करवाए. ऐसे लोग जिन पर पूरा परिवार आश्रित था और वे आपदा की भेंट चढ गए, उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए ताकि बेसहारा हो चुके परिवारों का भरण-पोषण हो सके. 

सधन्यवाद,
दिनांक-21 जून 2013

अतुल सती, इन्द्रेश मैखुरी 
गढ़वाल कमेटी, भाकपा(माले)

1 comment:

Anonymous said...

Achchi post hai