मेरी आंटियां
- आदम ज़गायेव्स्की
अपनी कोहनियों तलक फर्नीचर, बिस्तरबन्दों,
आलमारियों और किचन गार्डनों में
मसरूफ रहने के बावजूद, वे जिसे वे कहा करती थीं
जीवन का व्यावहारिक पक्ष
(सैद्धांतिक पक्ष था प्लेटो के वास्ते),
वे कभी नहीं भूलीं लैवेंडर की पोटलियाँ धरना
जो चादरों की आलमारी को तब्दील कर दिया करती थीं बागीचे में.
चंद्रमा के अप्रकाशित हिस्से जैसे ,
जीवन के व्यावहारिक पक्ष में
रहस्यों की कभी कमी नहीं रही
जब क्रिसमस नज़दीक आता
जिंदगी बन जाती एक निखालिस दस्तूर
और अस्थाई रूप से निवास किया करती गलियारों में
और शरण ले लिया करती सूटकेसों और पोटलियों में.
और जब किसी की मृत्यु होती – उफ़, ऐसा
हमारे परिवार में भी होता था –
मेरी आंटियां व्यस्त रहतीं मृत्यु के व्यावहारिक पक्ष के साथ
आखिरकार वे भूल जाया करतीं लैवेंडर के बारे में
जिसकी पगलाई महक निस्वार्थ खिली रहती थी
चादरों की भारी बर्फ के नीचे.
कुछ भी मत करो, बस यहाँ बैठो.
सो मैं वैसा ही करता आया हूँ, वही करता आया हूँ,
मौसमों के छल्ले लिपटते हैं मेरी गिर्द धुएं की मानिंद
धरती के छोर तक जाकर वापस लौटते हुए बिना आवाज़ किये.
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