-संजय
चतुर्वेदी
सारी
सरकारें कांग्रेसी थीं
सारे
दफ़्तर, सारे अफ़सर, सारे फिक्सर
सारे
विश्वविद्यालय, सारी किताबें, सारे प्रोफ़ेसर कांग्रेसी थे
सारे
वामपंथी, सारी यूनियनें, सारे क्रांतिकारी
सारे
फंड, सारे एन.जी.ओ.
सारी
पूंजी, सारे अखबार
सारे
वजीफ़े, लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकार
सारे
तीसमार, सारे फीसमार
किसी
को जीवन के अंतिम प्रहर में पता चला कि वह तो कांग्रेस का पुत्र है
कोई
उत्पन्न होने से पहले ही कांग्रेस को गर्भ में धारण किये हुए था
सारी
व्याख्या कांग्रेसी थी
सारा
विधान कांग्रेसी था
सारे
वकील कांग्रेसी थे
एक
बार तो ऐसा भी लगा कि हमारी भाषा भी कांग्रेसी है
दमन
कांग्रेसी था
प्रतिरोध
कांग्रेसी
कवियों
का तो होना ही समाप्त हो चुका था
हमने
सिर उठाकर देखा
लोगों
की तरफ से बोलने वाला
कोई
बचा ही नहीं था.
(कथादेश,
मई २००६ में प्रकाशित.)
2 comments:
बढिया, बहुत सुंदर
मुझे लगता है कि राजनीति से जुड़ी दो बातें आपको जाननी जरूरी है।
"आधा सच " ब्लाग पर BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी !
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/07/bjp.html?showComment=1374596042756#c7527682429187200337
और हमारे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर बुरे फस गए बेचारे राहुल !
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/blog-post.html
देश के खून में है काँग्रेस
भारतीय राष्ट्रीय चरित्र !
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