Monday, July 22, 2013

बिन सतगुरु नर रहत भुलाना, खोजत फिरत न मिलत ठिकाना



आज के सुअवसर पर फिर से पण्डित कुमार गन्धर्व जी के स्वर में कबीरदास जी:

3 comments:

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

अद्भुत आवाज है कुमार गन्धर्व जी की । बचपन में हमें यही आवाज बडी विचित्र और खीज पैदा करने वाली लगती थी पर धीरे-धीरे इसका प्रभाव समझ में आने लगा । और यह भी कि गायन में उनका क्या स्थान है ।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

अद्भुत आवाज है कुमार गन्धर्व जी की । बचपन में हमें यही आवाज बडी विचित्र और खीज पैदा करने वाली लगती थी पर धीरे-धीरे इसका प्रभाव समझ में आने लगा । और यह भी कि गायन में उनका क्या स्थान है ।

Anupama Tripathi said...

गहन .....बहुत सुंदर ...