Tuesday, September 17, 2013

उठो ज्ञानी खेत संभारो, बह निसरेगा पानी


पंडित कुमार गंधर्व जी के स्वर में सुनिए कबीरदास जी का एक और अत्यधिक प्रिय भजन-  

अवधूता गगन घटा गहरानी रे||

पश्चिम दिशा से उलटी बादल, रुम झूम बरसे मेहा
उठो ज्ञानी खेत संभारो, बह निसरेगा पानी ||

निरत सुरत के बेल बनावो, बीजा बोवो निज धानी
दुबध्या दूब जमन नहिं पावे, बोवो नाम की धानी ||

चारो कोने चार रखवाले, चुग ना जावे मृग धानी
काट्या खेत भींडा घरल्यावे, जाकी पुरान किसानी ||

पांच सखी मिल करे रसोई, जिहमे मुनी और ग्यानी
कहे कबीर सुनो भाई साधो, बोवो नाम की धानी|| 


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