उड़ जाएगा हंस अकेला, जग दर्शन का मेला.
जैसे पात गिरे तरुवर के, मिलना बहुत दुहेला.
ना जाने किधर गिरेगा, लग्या पवन का रेला.
जब होवे उमर पूरी, जब छुटेगा हुकुम हुजूरी.
जम के दूत बड़े मरदूद, जम से पड़ा झमेला.
दास कबीर हर के गुण गावे, वाह हर को पार न पावे.
गुरु की करनी गुरु जाएगा, चेले की करनी चेला
1 comment:
Sunna bar bar aur ho jana nishabd....
Post a Comment