फ़्रीदा का यह फ़ोटो उनके पिता ने अपनी पत्नी यानी फ़्रीदा की माँ की मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद खींचा था |
मैक्सिको में आज भी फ़्रीदा काहलो का नाम रहस्य और जादू का
पर्याय माना जाता है.
कोई बीसेक साल पहले फ़्रीदा की सौतेली बहन यानी दिएगो रिवेरा
की पहली पत्नी से हुई बेटी गुआदालूपे रिवेरा ने मेरी-पियरे कोल के साथ मिलकर एक
शानदार किताब पेश की थी – ‘FRIDA'S FIESTAS -- RECIPES AND
REMINISCENCES OF LIFE WITH FRIDA KAHLO’. इस किताब के बहाने फ़्रीदा की गाथा में
एक और चमकीला अध्याय जुड़ता है. गुआदालूपे रिवेरा कहती हैं – “१९४२ में परिवार ने
यह तय किया कि मैं अपने पिता और फ़्रीदा के साथ रहने कोयोकान चली जाऊं ... मेरे लिए
सबसे महत्वपूर्ण रहा संसार को उस तरीके से देख पाना जिस तरह फ़्रीदा और मेरे पिता
जीते थे.”
गुआदालूपे रिवेरा और मेरी-पियरे कोल ने कोयोकान में फ़्रीदा
के ब्लू हाउस को दोबारा से जीवंत बना दिया है. आप पिंजरों में चहकते तोतों को सुन
सकते हैं, फ़्रीदा के चहेते पालतू बंदर फुलान्ग चांग की बातें जान सकते हैं और उस
विख्यात रसोईघर में आने वाले मेहमानों के किस्सों में शरीक हो सकते हैं. लेकिन
सबसे ज़्यादा आपको नई बातें पता चलती हैं फ़्रीदा के बारे में कि किस तरह गर्मजोशी
से वे अपने घर पर मेहमानों का स्वागत किया करती थीं.
फ़्रीदा जीवन को लेकर बेहद उत्साहित रहने वाली स्त्री थी.
उसे हरेक मौके को उत्सव में तब्दील कर देने में सुख मिलता था – चाहे किसी का
जन्मदिन हो, चाहे कोई सेन्ट्स डे, चाहे किसी के बच्चे का बप्तिस्मा हो या कोई
सरकारी छुट्टी ही सही.
लेखिकाओं ने किताब को बारह उत्सवों के चक्रों में बांटा है –
इनमें मुख्यतः पोसादाज़ (क्रिसमस के समय का उत्सव), डे ऑफ़ द डैड, मैक्सिकी
राष्ट्रीय अवकाश और एक महोत्सव शामिल है जिसका नाम हुआ करता था – “द मील ऑफ़ द
ब्रॉड टेबलक्लॉथ”. किताब में मैक्सिको के १०० से अधिक पारम्परिक व्यंजनों के ज़िक्र और स्मृतियाँ हैं जिन्हें फ़्रीदा
बनाना पसंद करती थी और जो दिएगो के पसंदीदा हुआ करते थे.
आज देखिये इस किताब से कुछ शुरुआती फोटोग्राफ़्स -
फ़्रीदा की रसोई का एक कोना जिसे पुएब्ला से लाई गयी नीली और पीली टाइल्स से सजाया गया था. दीवार पर लगे नन्हे मगों पर फ़्रीदा का नाम लिखा हुआ है |
एक टिपिकल पुएब्ला मोल (एक मैक्सिकी व्यंजन). व्यंजन बनाने की सामग्रियां ब्लू हाउस के किचन के लकड़ी के स्टोव पर करीने से रखी गयी हैं |
डाइनिंग रूम में हस्तनिर्मित लकड़ी की शैल्फ़. मेज़ को भी गाढ़ा पीला रंगा गया है. ब्लू हाउस की साजसज्जा में यह फ़्रीदा का सबसे पसंदीदा रंग हुआ करता था. |
No comments:
Post a Comment